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मेरे सपनों का भारत
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देश को आजाद हुए काफी साल हो गए हैं। लेकिन अभी भी देश में कई प्रकार की ऐसी समस्याएं हैं, जो दूर नहीं हुई है। भविष्य में यह समस्याएं दूर हो सकती है। मेरे सपनों का भारत जिसमें शिक्षा प्राथमिक रूप से लड़की और लड़के दोनों के लिए अनिवार्य हो जाएगी। इससे देश में जागरूकता बढ़ेगी, भेदभाव कम होगा। हमारे सपनों का भारत जो पूरी तरह से डिजिटल तकनीकों पर चलने वाला है।मेरे सपनों का भारत (mere sapnon ka bharat) जिसमें आपको जातिवाद शिक्षा अलग-अलग प्रकार की कुर्तियां इत्यादि देखने को नहीं मिलेगी। लोगों को इस प्रकार की पुरानी परंपराओं से पूरी तरह से छुटकारा मिल जाएगा।देश को आजाद हुए काफी साल हो गए हैं। लेकिन अभी भी देश में कई प्रकार की ऐसी समस्याएं हैं, जो दूर नहीं हुई है। भविष्य में यह समस्याएं दूर हो सकती है। मेरे सपनों का भारत जिसमें शिक्षा प्राथमिक रूप से लड़की और लड़के दोनों के लिए अनिवार्य हो जाएगी। इससे देश में जागरूकता बढ़ेगी, भेदभाव कम होगा। हमारे सपनों का भारत जो पूरी तरह से डिजिटल तकनीकों पर चलने वाला है।यहां पर महिलाओं को शिक्षा के साथ-साथ नौकरी में भी स्वतंत्रता मिलेगी। कहने का मतलब यह है कि नौकरी भी महिलाएं व पुरुष बेइज्जत कर पाएंगे। हमारे सपनों का भारत जिसमें शिक्षा में मुख्य रूप से बढ़ोतरी होगी और वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या बढ़ती हुई जनसंख्या पर भी नियंत्रण हो पाएगा। देश में गरीबी और भुखमरी जैसी समस्याएं भी साधारण तौर पर कम हो जाएगी।आज के समय में देश में जाति और धर्म के नाम पर भेदभाव बहुत ज्यादा है। हालांकि पिछले जमाने से यह भेदभाव थोड़ा कम हुआ है। लेकिन भविष्य में यह भेदभाव जो जाति और धर्म के नाम पर वर्तमान में चल रहा है, वह पूरी तरह से खत्म होगा और जाति और धर्म के मुद्दों को किनारे रखते हुए लोग साथ मिलकर काम करेंगे तो राष्ट्र की प्रगति का एक महत्वपूर्ण योगदान देश को मिलेगा।
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मेरे सपनों का भारत वो भारत है जो सभी के लिए बराबर रोजगार के अवसर प्रदान करता है जिससे कि हम सभी हमारे देश के विकास और सुधार के लिए काम करें। जातिवाद एक और बड़ा मुद्दा है जिस पर काम करने की आवश्यकता है। मेरे सपनों का भारत एक ऐसा स्थान होगा जहां लोगों से जाति, पंथ या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता हो।