Hindi, asked by aashman36, 10 months ago

pls write a para on bus ki yatra in Hindi ​

Answers

Answered by HariesRam
17

Bus Ki Yatra Introduction – पाठ प्रवेश

वे इस लेख के द्वारा, अपने व्यक्तिगत अनुभव का बखान करते हैं जोकि है ‘‘बस की यात्रा।” वे एक बार बस के द्वारा अपनी यात्रा करते हैं और किस तरह की परेशानियाँ इस यात्रा में आती हैं, इस सब का अनुभव इस रचना के द्वारा दर्षाया गया है।

एक बार बस से पन्ना को जा रहे थे बस बहुत ही पुरानी थी जैसा कि दर्शाया गया है इस सफर में क्या-क्या अनुभाव किया, क्या-क्या उनके साथ घटा, और उन्होंने परिवहन निगम की जो बसें होती हैं उनकी घसता हलात पर व्यंग किया है और ये भी दर्शाया गया है कि किस तरह से वे अपनी बसों की देख-भाल नहीं करते हैं और एक घसियत पद की तरह से इस रचना को लिखा है जब हम इसको पढ़ते हैं तो बहुत सी घटानाऐं हास्यपद (हँसीपद) लगती हैं और बहुत ही रोंचक हो गई है उनकी यह रचना। तो आइए हम भी चलते हैं उनकी इस यात्रा पर।

Bus Ki Yatra Summary – पाठ का सार

एक बार लेखक अपने चार मित्रों के साथ बस से जबलपुर जाने वाली ट्रेन पकड़ने के लिए अपनी यात्रा बस से शुरु करने का फैसला लेते हैं। परन्तु कुछ लोग उसे इस बस से सफर न करने की सलाह देते हैं। उनकी सलाह न मानते हुए, वे उसी बस से जाते हैं किन्तु बस की हालत देखकर लेखक हंसी में कहते हैं कि बस पूजा के योग्य है।

नाजुक हालत देखकर लेखक की आँखों में बस के प्रति श्रद्धा के भाव आ जाते हैं। इंजन के स्टार्ट होते ही ऐसा लगता है की पूरी बस ही इंजन हो। सीट पर बैठ कर वह सोचता है वह सीट पर बैठा है या सीट उसपर। बस को देखकर वह कहता है ये बस जरूर गाँधी जी के असहयोग आंदोलन के समय की है क्योंकि बस के सारे पुर्जे एक-दूसरे को असहयोग कर रहे थे।

कुछ समय की यात्रा के बाद बस रुक गई और पता चला कि पेट्रोल की टंकी में छेद हो गया है। ऐसी दशा देखकर वह सोचने लगा न जाने कब ब्रेक फेल हो जाए या स्टेयरिंग टूट जाए।आगे पेड़ और झील को देख कर सोचता है न जाने कब टकरा जाए या गोता लगा ले।अचानक बस फिर रुक जाती है। आत्मग्लानि से मनभर उठता है और विचार आता है कि क्यों इस वृद्धा पर सवार हो गए।

इंजन ठीक हो जाने पर बस फिर चल पड़ती है किन्तु इस बार और धीरे चलती है।आगे पुलिया पर पहुँचते ही टायर पंचर हो जाता है। अब तो सब यात्री समय पर पहुँचने की उम्मीद छोड़ देते है तथा चिंता मुक्त होने के लिए हँसी-मजाक करने लगते है।अंत में लेखक डर का त्याग कर आनंद उठाने का प्रयास करते हैं तथा स्वयं को उस बस का एक हिस्सा स्वीकार कर सारे भय मन से निकाल देते हैं।

Answered by Anonymous
16

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वे इस लेख के द्वारा, अपने व्यक्तिगत अनुभव का बखान करते हैं जोकि है ‘‘बस की यात्रा।” वे एक बार बस के द्वारा अपनी यात्रा करते हैं और किस तरह की परेशानियाँ इस यात्रा में आती हैं, इस सब का अनुभव इस रचना के द्वारा दर्षाया गया है।

एक बार बस से पन्ना को जा रहे थे बस बहुत ही पुरानी थी जैसा कि दर्शाया गया है इस सफर में क्या-क्या अनुभाव किया, क्या-क्या उनके साथ घटा, और उन्होंने परिवहन निगम की जो बसें होती हैं उनकी घसता हलात पर व्यंग किया है और ये भी दर्शाया गया है कि किस तरह से वे अपनी बसों की देख-भाल नहीं करते हैं और एक घसियत पद की तरह से इस रचना को लिखा है जब हम इसको पढ़ते हैं तो बहुत सी घटानाऐं हास्यपद (हँसीपद) लगती हैं और बहुत ही रोंचक हो गई है उनकी यह रचना। तो आइए हम भी चलते हैं उनकी इस यात्रा पर।

Bus Ki Yatra Summary – पाठ का सार

एक बार लेखक अपने चार मित्रों के साथ बस से जबलपुर जाने वाली ट्रेन पकड़ने के लिए अपनी यात्रा बस से शुरु करने का फैसला लेते हैं। परन्तु कुछ लोग उसे इस बस से सफर न करने की सलाह देते हैं। उनकी सलाह न मानते हुए, वे उसी बस से जाते हैं किन्तु बस की हालत देखकर लेखक हंसी में कहते हैं कि बस पूजा के योग्य है।

नाजुक हालत देखकर लेखक की आँखों में बस के प्रति श्रद्धा के भाव आ जाते हैं। इंजन के स्टार्ट होते ही ऐसा लगता है की पूरी बस ही इंजन हो। सीट पर बैठ कर वह सोचता है वह सीट पर बैठा है या सीट उसपर। बस को देखकर वह कहता है ये बस जरूर गाँधी जी के असहयोग आंदोलन के समय की है क्योंकि बस के सारे पुर्जे एक-दूसरे को असहयोग कर रहे थे।

कुछ समय की यात्रा के बाद बस रुक गई और पता चला कि पेट्रोल की टंकी में छेद हो गया है। ऐसी दशा देखकर वह सोचने लगा न जाने कब ब्रेक फेल हो जाए या स्टेयरिंग टूट जाए।आगे पेड़ और झील को देख कर सोचता है न जाने कब टकरा जाए या गोता लगा ले।अचानक बस फिर रुक जाती है। आत्मग्लानि से मनभर उठता है और विचार आता है कि क्यों इस वृद्धा पर सवार हो गए।

इंजन ठीक हो जाने पर बस फिर चल पड़ती है किन्तु इस बार और धीरे चलती है।आगे पुलिया पर पहुँचते ही टायर पंचर हो जाता है। अब तो सब यात्री समय पर पहुँचने की उम्मीद छोड़ देते है तथा चिंता मुक्त होने के लिए हँसी-मजाक करने लगते है।अंत में लेखक डर का त्याग कर आनंद उठाने का प्रयास करते हैं तथा स्वयं को उस बस का एक हिस्सा स्वीकार कर सारे भय मन से निकाल देते हैं।

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