Pls write this letter atleast 7 to 10 lines should be there.
And this is formal letter
pls write this in hindi.
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प्रिय तेजस्विनी,
सस्नेह नमस्ते! आशा है तुम सब कुशलपूर्वक होंगे। हम भी नए शहर, नए घर और नए विद्यालय से तालमेल बैठाने की कोशिश में लगे हैं। शहर और घर में तो लखूनऊ से विशेष अंतर नहीं है किंतु विद्यालय के तौर-तरीके अपने स्कूल से बहुत अलग हैं। मेरी तरह तुम्हें भी कुछ अजीब लगेगा कि यहाँ सप्ताह में केवल एक दिन ही हमारी कक्षा की प्रार्थना सभा होती है। लेकिन एक दिन में ही पूरे पाँच दिनों की कसर निकल जाती है। प्रार्थना-सभा लगभग 45 मिनट की होती है जिसमें प्रार्थना-गीत, मुख्यसमाचार, प्रेरक-विचार के बाद बारी-बारी से हर कक्षा की किसी एक विषय को चुनकर प्रस्तुतियाँ करनी होती हैं। इस सप्ताह हमारी कक्षा की बारी थी और हमने 'लड़का-लड़की एक समान' विषय चुना था। तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मैंने एक छोटी नाटिका का आलेख तैयार करने के साथ उसमें प्रमुख भूमिका भी निभाई थी। सबसे प्राप्त प्रशंसा से मुझे प्रोत्साहन मिला। मेरे नए मित्र कौशल ने स्वरचित कविता का वाचन किया। यहाँ लड़के और लड़कियों में लखूनऊ की तरह दूरी नहीं है। हम सब आपस में खूब मिलजुल कर रहते हैं, बातें करते हैं-मस्ती करते हैं।
हमारी सभी अध्यापिकाएँ अच्छी हैं किंतु मुझे अपनी हिंदी की अध्यापिका विशेष प्रिय हैं। तुम्हें हैरानी होगी कि जो विषय मेरे लिए सबसे बोर हुआ करता था। अब मैं हिंदी के पीरियड की प्रतीक्षा करती हूँ। पाठ्यक्रम से अलग हटकर बीच-बीच में वे जो बातें बताती हैं, जानकारियाँ देती हैं वे ज्ञानवर्द्धक होने के साथ-साथ अत्यंत रोचक भी होती हैं।
यहाँ हमें बारह क्लबों में से किसी एक को चुनना होता है और मैंने 'फ़ोटोग्राफ़ी क्लब' चुना है। पिछले हफ्ते हमारे शिक्षक हमें विद्यालय के बगीचे में ले गए थे, हमने फूलों, पत्तों, वृक्षों के साथ-साथ घास पर खेलते-लोट लगाते बच्चों और तितलियों की भी तस्वीरें खींची। इस पत्र के साथ मैं दो तस्वीरें भेज रही हूँ। बताना क्या उनमें कुछ नयापन या
सस्नेह नमस्ते! आशा है तुम सब कुशलपूर्वक होंगे। हम भी नए शहर, नए घर और नए विद्यालय से तालमेल बैठाने की कोशिश में लगे हैं। शहर और घर में तो लखूनऊ से विशेष अंतर नहीं है किंतु विद्यालय के तौर-तरीके अपने स्कूल से बहुत अलग हैं। मेरी तरह तुम्हें भी कुछ अजीब लगेगा कि यहाँ सप्ताह में केवल एक दिन ही हमारी कक्षा की प्रार्थना सभा होती है। लेकिन एक दिन में ही पूरे पाँच दिनों की कसर निकल जाती है। प्रार्थना-सभा लगभग 45 मिनट की होती है जिसमें प्रार्थना-गीत, मुख्यसमाचार, प्रेरक-विचार के बाद बारी-बारी से हर कक्षा की किसी एक विषय को चुनकर प्रस्तुतियाँ करनी होती हैं। इस सप्ताह हमारी कक्षा की बारी थी और हमने 'लड़का-लड़की एक समान' विषय चुना था। तुम्हें यह जानकर प्रसन्नता होगी कि मैंने एक छोटी नाटिका का आलेख तैयार करने के साथ उसमें प्रमुख भूमिका भी निभाई थी। सबसे प्राप्त प्रशंसा से मुझे प्रोत्साहन मिला। मेरे नए मित्र कौशल ने स्वरचित कविता का वाचन किया। यहाँ लड़के और लड़कियों में लखूनऊ की तरह दूरी नहीं है। हम सब आपस में खूब मिलजुल कर रहते हैं, बातें करते हैं-मस्ती करते हैं।
हमारी सभी अध्यापिकाएँ अच्छी हैं किंतु मुझे अपनी हिंदी की अध्यापिका विशेष प्रिय हैं। तुम्हें हैरानी होगी कि जो विषय मेरे लिए सबसे बोर हुआ करता था। अब मैं हिंदी के पीरियड की प्रतीक्षा करती हूँ। पाठ्यक्रम से अलग हटकर बीच-बीच में वे जो बातें बताती हैं, जानकारियाँ देती हैं वे ज्ञानवर्द्धक होने के साथ-साथ अत्यंत रोचक भी होती हैं।
यहाँ हमें बारह क्लबों में से किसी एक को चुनना होता है और मैंने 'फ़ोटोग्राफ़ी क्लब' चुना है। पिछले हफ्ते हमारे शिक्षक हमें विद्यालय के बगीचे में ले गए थे, हमने फूलों, पत्तों, वृक्षों के साथ-साथ घास पर खेलते-लोट लगाते बच्चों और तितलियों की भी तस्वीरें खींची। इस पत्र के साथ मैं दो तस्वीरें भेज रही हूँ। बताना क्या उनमें कुछ नयापन या
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