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2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए
और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बहुत घुटन है बंद घरों में, खुली हवा तो आने दो,
संशय की खिड़कियाँ खोल, किरनों को मुस्काने दो।
ऊँचे-ऊँचे भवन उठ रहे, पर आँगन का नाम नहीं, 91\
चमक-दमक, आपा-धापी है, पर जीवन का नाम नहीं
लौट न जाए सूर्य द्वार से, नया संदेशा लाने दो ।
।
(2) के
7शन
हर माँ अपना राम जोहती, कटता क्यों वनवास नहीं
मेहनत की सीता भी भूखी, रुकता क्यों उपवास नहीं ।
बाबा की सूनी आँखों में चुभता तिमिर भागने दो ।
हर उदास राखी गुहारती, भाई का वह प्यार कहाँ ?
डरे-डरे रिश्ते भी कहते, अपनों का संसार कहाँ ?
गुमसुम गलियों को मिलने दो, खुशबू तो बिखराने दो।।
3/2/3]
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( क ). इसका आशय यह है कि ऊंचे मकानों की वजह से घर में धूप नहीं पहुँचती अर्थात् सभी मानव अपने घर में संकुचित होकर रह गए हैं, उन्हे वातावरण और आस पास घटित हो रही चीज़ों का कुछ ज्ञान नहीं है।
( ख ). क्योंकि सभी अपने जीवन में व्यस्त है, उनके पास और चीजों के लिए समय नहीं है। ऐसे व्यस्त और संकुचित घरों, में आने से पहले ही सूर्य लौट जाएगा।
( ग ). रिश्ते डरे हुए हैं क्योंकि सभी रिश्ते टूटने की कगार पर हैं।
( घ ). तिमिर का अर्थ है - अंधकार, अंधेरा।
( ङ ). कवि कहता है कि हमे आपस में मिल जुल कर रहना चाहिए ।
( ख ). क्योंकि सभी अपने जीवन में व्यस्त है, उनके पास और चीजों के लिए समय नहीं है। ऐसे व्यस्त और संकुचित घरों, में आने से पहले ही सूर्य लौट जाएगा।
( ग ). रिश्ते डरे हुए हैं क्योंकि सभी रिश्ते टूटने की कगार पर हैं।
( घ ). तिमिर का अर्थ है - अंधकार, अंधेरा।
( ङ ). कवि कहता है कि हमे आपस में मिल जुल कर रहना चाहिए ।
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