plz ans fast ... today's my board
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I hope you are understand
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anshikakesari:
thank
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इस पाठ में नाक मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है। यह बात लेखक ने विभिन्न बातों द्वारा व्यक्त की हैं। रानी एलिज़ाबेथ अपने पति के साथ भारत दौरे पर आ रही थीं। ऐसे मौके में जॉर्ज पंचम की नाक का न होना उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने जैसा था।
यदि जॉर्ज पंचम की नाक नहीं लगाई जाती तो ब्रिटिश सरकार के नाराज हो जाने का डर था। इन शब्दों में लेखक ने स्पष्ट करते हुए कहा है खोज करने के लिए मेहनत तो करनी होगी, इस मेहनत का फल हमें मिलेगा- "आने वाला ज़माना खुशहाल होगा।"
यहाँ तक की जॉर्ज पंचम की नाक का सम्मान भारत के महान नेताओं एवम साहसी बालकों के सम्मान से भी ऊँचा था। इसलिए तो उनकी नाक हटाने को सब तैयार हो गए पर जॉर्ज पंचम की नाक लगाना ज़्यादा ज़रूरी था। यही बात लेखक ने कई स्थानों पर बताने का प्रयत्न किया है।
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