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Answer:
(ड़) के उत्तर
1 ‘बुराई में रस लेना बुरी बात है, अच्छाई में उतना ही रस लेकर उजागर न करना और भी बुरी बात है।’
उत्तर:
लेखक कहता है कि लोग एक-दूसरे की बुराई को बड़ा रस लेकर उद्घाटित करते हैं, जो बहुत बुरी बात है। किन्तु दूसरे की अच्छाई को उतना ही रस लेकर प्रकट करने में संकोच करना तो और भी बुरी बात है। हमारे आस-पास असंख्य घटनाएँ ऐसी घटती हैं, जिन्हें यदि उजागर (प्रकट) किया जाए, तो लोगों के दिल में अच्छाई के प्रति अच्छी भावना जाग सकती है। अतः अच्छाई को प्रकट करने में कभी पीछे नहीं रहना चाहिए।
2 मनुष्य हमेशा उच्च आदर्शों को आधार मानकर ही आगे नहीं बढ़ता। कुछ विकार जैसेलोभ, मोह विकसित होकर उसे लक्ष्य से डिगाते रहे हैं। उच्च आदर्श और संयम आदि नगण्य हो गए हैं। जो कुछ विपरीत हुआ है, उससे उच्च आदर्शो, संयम और विधानोक्त कर्मों की उपयोगिता अब और अधिक सामने आ गई है।
3 महान भारतवर्ष के पाने की सम्भावना बनी हुई है, बनी रहेगी।
आशय:
लेखक का कथन हमें यह सन्देश देता है कि केवल कुछ बुराइयों को देखकर निराश नहीं हो जाना चाहिए। इस देश में ईमानदार, कर्तव्यपरायण और अच्छे लोगों की कमी नहीं है। हमारा देश बुराइयों पर अवश्य विजय प्राप्त कर लेगा। अतः महान भारतवर्ष को पाने की पूरी सम्भावना है।