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it is a formal letter
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Answer:
सेवा में,
संपादक,
नवभारत टाइम्स,
नई दिल्ली।
महोदय,
अपने दैनिक समाचा-पत्रों के ’पाठकों के पत्र’ शीर्षक के अंतर्गत समाज में बढ़ते अपराधों पर मेरे विचार जनहित में प्रकाशित करने का कष्ट करें।
दिल्ली में पिछले एक वर्ष से अफसरशाही को मनमानी करने का पूरा अवसर मिला हुआ है। यही कारण है कि वे अपने स्वार्थों की सिद्धि में तो लगे हुए हैं, पर जन-समस्याओं के प्रति उपेक्षापूर्ण दृष्टिकोण अपनाए हुए हैं।
दिल्ली कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज रह ही नहीं गई है। संभ्रांत काॅलोनियों में दिन दहाडें डकैती और हत्या की घटनाएँ आम हो गई हैं। यहाँ के नागरिकों का जीवन असुरक्षित हो गया है। नागरिकों की समस्यओं पर ध्यान देने की फुर्सत किसी को नहीं है। मैं आपके समाचार-पत्र के माध्यम से केन्द्र सरकार में बैठे मंत्रियों से अनुरोध करती हूँ कि दिल्ली में जन-प्रतिनिधियों की शासन-व्यवस्था को शीघ्र बहाल करें एवं महँगाई पर काबू पाने के सार्थक प्रयास करें।
धन्यवाद सहित
Explanation:
⚘आवश्यक पत्र:-
बी-16, शारदा नगर,
नोएडा,दिल्ली
दिनांक: 18 नवंबर 2021
सेवा में,
संपादक,
नवभारत टाइम्स,
नई दिल्ली।
महोदय,
नमस्ते साहब जी, मैं आपके विस्तारित समाचार पत्र के कॉलम के माध्यम से महिला अधिनियम की ओर संबंधित अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करना चहती हू।
मैं दिल्ली में रहनारी महिला हूं और मुझे आपको दिल्ली में हो रहे अपराध की बात करने के लिए आपको पत्र भेज रही हूं।आज कल दिल्ली में महिला में जाति भेद हो रही है। और लड़की को स्कूल में दाखिला लेने नहीं देते। किसी बेटी के जन्म होने पर लोग श्राप माने हैं। लड़की को पूरी तरह से स्वतंत्र नहीं देते।लड़की को हनी पौछते है और बहुत दु:ख देते हैं। वे लोग लड़की को गुलाम की तरह रखते हैं और उनको बच्चन से किसी बड़े काम में शामिल होते हैं।जो बाल श्रम अधिनियम भी कह सकता है।
जाति में भेद होने से कोई फरक नहीं पदता क्योंकि लड़की और लड़का दोनो इंसान ही है और इंसान में कभी भी जाति में भेद नहीं करना चाहिए। सृष्टि में अनेक जीव है। भगवान की बनाना है ।सभी में सिफ जाति भेद है पर सभी एक शांत स्वरूप आत्मा है।
मतलाब की हम सब एक है। सब एक है फिर भी जाति में भेद क्यों है? इन भेद से लड़की को कितनी हनी पौछती है। बिचारी लड़की की जिंदगी 6-10 साल में भी चीनी जा रही है। बाल विवाह से और अपने पति की मौत होने के बाद उनके दुख और बड जाते हैं।
यदि आप इसे अपने समाचार पत्र में प्रकाशित करेंगे तो मुझे अच्छा लगेगा और संबंधित हमारे अधिकारी इस मामले की गंभीरता को देखेंगे।
धन्यवाद!
सादर,
अदिति गुप्ता
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★ अनौपचारिक पत्र -
⇢ अनौपचारिक पत्र लेखन में ध्यान रखें की जिसको आप पत्र लिख रहे हैं उनसे आपका निजी परिचय है तथा उनसे व्यक्तिगत संबंध भी हैं। इस तरह के पत्र लेखन में व्यक्तिगत सुख-दुख का ब्योरा एवं विवरण के साथ व्यक्तिगत संबंध को उल्लेख किया जाता है।
⇢अपने परिवार के लोग मित्र एवं निकट संबंधियों को इस तरह के पत्र लिखे जाते हैं।
★ अनौपचारिक पत्र लिखते समय ध्यान रखने योग्य बातें -
⇢भाषा सरल व स्पष्ट होनी चाहिए। → पत्र लेखक तथा प्रापक की आयु,योग्यता, पद आदि का ध्यान रखा जाना चाहिए।
⇢ पत्र में लिखी बात संक्षिप्त होनी चाहिए।
⇢पत्र का आरंभ व अंत प्रभावशाली
होना चाहिए।
⇢भाषा और वर्तनी-शुद्ध तथा लेख-स्वच्छ होना चाहिए।
⇢पत्र प्रेषक व प्रापक वाले का पता साफ व स्पष्ट लिखा होना चाहिए।
⇢कक्षा / परीक्षा भवन से पत्र लिखते समय अपने नाम के स्थान पर क० ख० ग० तथा पते के स्थान पर कक्षा / परीक्षा भवन लिखना चाहिए।
⇢अपना पता और दिनांक लिखने के बाद एक पंक्ति छोड़कर आगे लिखना चाहिए।
⇢पत्र में काट छांट नही होनी चाहिए।
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★ अनौपचारिक पत्र के प्रकार -
अनौपचारिक पत्र के निम्नलिखित प्रकार के होते हैं
⇢बधाई पत्र
⇢शुभकामना पत्र
⇢निवेदन पत्र
⇢संवेदना / सहानुभूति / सांत्वना पत्र
⇢नाराजगी / खेद पत्र सूचना/वर्णन संबंधी पत्र
⇢ निमंत्रण पत्र
⇢ आभार-प्रदर्शन
⇢अनुमति पत्र
⇢ सुझाव / सलाह पत्र
⇢ क्षमायाचना एवं आश्वासन संबंधी