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kuch unki stithi ke bare mai khud likh liyo
आज समाज में मानवीय मूल्य तथा पारिवारिक मूल्य धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। ज्यादातर व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए रिश्ते-नाते निभाते हैं। अब रिश्तों से ज्यादा रिश्तेदार की कामयाबी और स्वार्थ सिधि की अहमियत है। रिश्ते ही उसे अपने-पराए में अंतर करने की पहचान करवाते हैं। रिश्तों के द्वारा व्यक्ति की समाज में विशेष भूमिका नि रित होती है। रिश्ते ही सुख-दुख में काम आते हैं। यह दुख की बात है कि आज के इस बदलते दौर में रिश्तों पर स्वार्थ की भावना हावी होती जा रही है। रिश्तों में प्यार व बंधुत्व समाप्त हो गया है। इस कहानी में भी यदि पुलिस न पहुँचती तो परिवार वाले काका की हत्या कर देते । इनसानियत तथा रिश्तों का खून तब स्पष्ट नज़र आता है जब महंत तथा परिवार वालों को काका के लिए अफ़सोस नहीं बल्कि उनकी हत्या न कर पाने की अफ़सोस है। ठीक इसी प्रकार आज रिश्तों से ज्यादा धन-दौलत को अहमियत दी जा रही है।
‘हरिहर काका‘ नामक कहानी लिखने का मूल उद्देश्य है| सगे और पराए लोगों से सावधान करना तथा समाज का चेहरा दिखाना|