India Languages, asked by monya2, 1 year ago

plz explain shanch pratya

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Answered by Chetanß
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शतृ-प्रत्यय का अत् शेष रहता है । अर्थात् श् और ऋ हट जाते है । जैसेः--पठ् शतृ पठत्
इसका अर्थः--- रहा है, रहे हैं, रही है । जैसे वह पढता हुआ जा रहा हैः---स पठन् गच्छति ।

शतृ-प्रत्यय वाले शब्द उगित् होते है, अर्थात् इसका ऋ का लोप हो जाता है, ऋ उक् प्रत्याहार में आता है, अतः ऋ का लोप होने से यह उगित् है। उगितश्च---4.1.6 सूत्र से स्त्रीलिंग में ङीप् प्रत्यय आता है और तब यह ईकारान्त शब्द बन जाता है, जिससे स्त्रीलिंग में इसका रूप नदी के अनुसार चलता है ।

शतृ-प्रत्यय भी दो वाक्यों को जोडता है । वाक्य में इसका प्रथम क्रिया के साथ प्रयोग होता है। जैसेः---
सः पठति । सः गच्छति । वह पढते हुए जाता हैः---सः पठन् गच्छति ।
i hope you understand.

monya2: shanch pratya!?
8Raj1: not good
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