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Explanation:
तरांशी हुयी हुश्ना को बेेेबस हिजाब में देखा था,
टपकती पेशानी,चिपकता बदन,पिंजरे में घुटे
परिंदा, आसमां में उड़ने को बेकरार देखा था।
इंसानी हबस से शर्मसार लज्जा को देखा था,
संगमरमरी रूह, बेआबरू-बेलिबास देखा था,
शोले सी दहकती आंखों में झर-झर आंसूओं से
भीगी दामिनी को फिर इक बार लाचार देेेखा था।
मोमवत्तियां लिये इंडिया गेट पर मौन मार्च देखा था,
मासूम चीखों से लाचार कानून से दुराचार देखा था,
लोकतंत्र के मंदिर में घडियाली आंसू की बयार पर
शैतानी दरिंंदों का उन्माद अट्टहास आल्हाद देखा था।
गणतंत्र दिवस परेड में महिला सैनिक शौर्य को देखा है
विंग कमांडर सुष्मिता,लेफ्ट.भावना नेतृत्व को देखा है,
कैप्टन शिखा सुरभि डेयरडेविल बाइक स्टंट जाबांजी
मेजर खुशबू कंवर की सिंहनी दहाड़ परेड़ को देखा है।
राजपथ परेड में जज्बे जुनून खुशबू को देखा है,
मैरीकाम के मुक्के का दम पूरी दुनिया ने देखा है,
सरहदों पर लडते चौकीदारों की वीरता को सलाम
हमने पुलवामा शहीद,जबांज अभिनंदन को देखा है।।