Hindi, asked by ghoshshreya1123, 1 month ago

plz give the answer
paragraph writing in hindi​

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Answered by vanshkapoor170
0

Answer:

sorry

Explanation:

sorry I don't have hindi typing other vice I can write

sorry

Answered by prakashakash802
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1. भूमिका:

राष्ट्रभाषा का अर्थ है राष्ट्र की भाषा (Language of the nation) । अर्थात् ऐसी भाषा, जिसका प्रयोग देश की हर भाषा के लोग आसानी से कर सकें, बोल सकें और लिख सकें । हमारे देश की ऐसी भाषा है हिन्दी । आजादी के पहले अंग्रेजी सरकार ने अंग्रेज के माध्यम से सारा काम चलाया किन्तु अपने देश में सबके लिए एक भाषा का होना आवश्यक है, ऐसी भाषा जो अपने देश की हो । वह भाषा केवल हिन्दी ही है ।

2. विशेषताए

हिन्दी को संस्कृत की बड़ी बेटी कहते हैं । हिन्दी का प्रमुख गुण यह है कि यह बोलने, पढ़ने, लिखने में अत्यंत सरल है । हिन्दी के प्रसिद्ध विद्वान जॉर्ज ग्रियर्सन ने कहा है कि हिन्दी व्याकरण के मोटे नियम केवल एक पोस्टकार्ड पर लिखे जा सकते हैं ।

संसार के किसी भी देश का व्यक्ति कुछ ही समय के प्रयत्न से हिन्दी बोलना और लिखना सीख सकता है । इसकी दूसरी विशेषता है कि यह भाषा लिपि (Script) के अनुसार चलती है । इसमें जैसा लिखा जाता है, वैसा ही बोला जाता है ।

इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि संसार की लगभग सभी भाषाओं के शब्द इसमें घुलमिल सकते हैं । कुर्सी, आलमारी, कमीज, बटन, स्टेशन, पेंसिल, बेंच आदि अनगिनत शब्द हैं जो विदेशी भाषाओं से आकर इसके अपने शब्द बन गए हैं ।

हिन्दी संसार के अनेक विश्वविद्यालयों (Univercities) में पढ़ाई जाती है और इसका साहित्य (Literature) भी विशाल है । इसके अलावा, हिन्दी ने देश में एकता लाने में बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है । उत्तर से लेकर दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक, भारत के अधिकतर विद्वानों ने भारत की एकता और अखंडता (Unity and Integrity) के लिए हिन्दी का समर्थन किया है ।

3. बाधाएँ

इतने अधिक गुणों से भरपूर होकर भी हिन्दी आज अंग्रेजी के पीछे क्यों चल रही है ? इसका सबसे बड़ा कारण है ऊँचे पदों पर बैठे व्यक्ति जो अंग्रेजी के पुजारी हैं वे सोचते हैं कि अंग्रेजी न रही तो देश पिछड़ जाएगा ।अंग्रेजी देश की अधिकतर जनता के लिए कठिन है, इसलिए वे जनता पर इसके माध्यम से अपना रौब रख सकते हैं । दूसरा कारण है- क्षेत्रीय भाषाओं (Regional Languages) के मन में बैठा भय । उन्हें लगता है कि यदि हिन्दी अधिक बड़ी तो क्षेत्रीय भाषाएँ पीछे रह जाएँगी ।

वास्तव में ये दोनों विचार गलत हैं । ऊँचे पदों पर बैठे अधिकारी हिन्दी के माध्यम से देश की अधिक सेवा कर सकते हैं और जनता का प्रेम पा सकते हैं । आज अंग्रेजी क्षेत्रीय भाषाओं को पीछे धकेल (Push) रही है जबकि हिन्दी की प्रकृति (Nature) किसी को पीछे करने की नहीं, बल्कि मेलजोल की है । यदि हिन्दी का विकास होता है, तो क्षेत्रीय भाषाओं का भी विकास होगा ।

4. उपसंहार

भारत की भूमि पर जन्म लेने के नाते हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम भारत की भाषाओं के विकास पर बल दें और हिन्दी का विकास करके सभी भाषाओं को जोड़ने का प्रयास करें । तभी हिन्दी सचमुच राष्ट्रभाषा बन पाएगी ।

Explanation:

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