Hindi, asked by vipuljainvj, 11 months ago

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निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
बहुत घुटन है बंद घरों में, खुली हवा तो आने दो,
संशय की खिड़कियाँ खोल, किरनों को मुस्काने दो ।
ऊँचे-ऊँचे भवन उठ रहे, पर आँगन का नाम नहीं,
चमक-दमक, आपा-धापी है, पर जीवन का नाम नहीं
लौट न जाए सूर्य द्वार से, नया संदेशा लाने दो ।
) के
17शन
हर माँ अपना राम जोहती, कटता क्यों वनवास नहीं
मेहनत की सीता भी भूखी, रुकता क्यों उपवास नहीं ।
बाबा की सूनी आँखों में चुभता तिमिर भागने दो ।
हर उदास राखी गुहारती, भाई का वह प्यार कहाँ ?
डरे-डरे रिश्ते भी कहते, अपनों का संसार कहाँ ?
गुमसुम गलियों को मिलने दो, खुशबू तो बिखराने दो।
3/2/3

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Answers

Answered by Anonymous
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१). उचे उचे भवन उठ रहे पर आंगन का नाम नहीं चित्रसूत्र इस आशय का अर्थ है कि आजकल लोग ऊंचे ऊंचे भवन बना रहे हैं जिसमें आजकल आंगन कैसा होता है ऊंचे भवनों वाले को यह पता नहीं कि आंगन कैसा होता है | इसलिए आज आँगन का नाम भी लोग नहीं जानते |

२). सूर्य व्दार से ही इसलिए लौट जाएगा क्योकि लोगो के मन सिर्फ शंका भरी है , इसलिए लेखक कह रहे है कि संशय कि खिडकियाँ खोल और सूरज की किरणो को अंदर आने दे |

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