plz plz plz answer this question right now
Attachments:
Answers
Answered by
1
Answer:
"रे नृप बालक काल बस बोलत तोहि न सँभार।
धनुही सम तिपुरारि धनु बिदित सकल संसार॥
सबसे पहले इन पंक्तियों का भावार्थ समझ लेते हैं...
प्रसंग ये प्रसंग उस समय समय का जब श्रीराम सीता स्वयंवर में शिवजी का धनुष तोड़ रहे थे और परशुराम वहाँ आ पहुँचे। इनके और लक्ष्मण के बीच संवाद हुआ, और परशुराम क्रोध में आकर लक्ष्मण की बातों का प्रत्युत्तर देने लगे।
भावार्थ – परशुराम लक्ष्मण से कहते हैं, ओ नादान बालक! काल के वश होने से तुझे बोलने का होश नही रह गया है। तुझे ये नही मालुम पड़ रहा है कि तू क्या बोल रहा है। सारे संसार में विख्यात शिवजी का यह धनुष किसी साधारण धनुष के समान नही है।
इन पंक्तियों में रौद्र रस प्रकट होता है। रौद्र का स्थायी भाव क्रोध है, जब किसी की अपमान जनक बातों से क्रोध उत्पन्न हो। यहाँ पर परशुराम लक्ष्मण की बातें सुनकर क्रोधित हो गये।
Similar questions