Hindi, asked by AtharvSinghRajawat, 6 months ago

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Answered by Anilkumar54406
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Explanation:

(1) एक आदर्श छात्र वह है जिसे हर दूसरा छात्र देखता है। कक्षा में या खेल के मैदान में अपने सभी कार्यों को पूरा करने के लिए उनकी सराहना की जाती है। वह अपने शिक्षकों का पसंदीदा होता है और स्कूल में विभिन्न कर्तव्यों का कार्यभार उसे सौंपा जाता है। हर शिक्षक चाहता है कि उनकी कक्षा ऐसे छात्रों से भरी रहे। हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे अपनी कक्षा में हर काम में प्रथम रहें, दूसरों के लिए एक आदर्श उदाहरण बने। कई छात्र अपने माता-पिता की अपेक्षाओं को पूरा करना चाहते हैं लेकिन एक आदर्श छात्र बनने के लिए उनमें दृढ़ संकल्प और कई अन्य कारकों की कमी होती है। कुछ लोग प्रयास करते हैं और असफल होते हैं पर कुछ लोग प्रयास करने में ही असफ़ल हो जाते हैं लेकिन क्या अकेले छात्रों को इस विफलता के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए? नहीं! माता-पिता को यह समझना चाहिए कि वे अपने बच्चे के समग्र व्यक्तित्व को बदलने और जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। यह उनका कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों को स्कूल में अच्छा करने के महत्व को समझने में उनकी सहायता करें।

कई माता-पिता अपने बच्चों को बड़े सपने दिखाते हैं और उन्हें बताते हैं कि कैसे स्कूल के दिनों में अच्छे ग्रेड लाए जाते हैं और उसके लिए कड़ी मेहनत की जाती है जो उन्हें उनकी पेशेवर और व्यक्तिगत जिंदगी में बाद में मदद करती है। हालांकि उनमें से अधिकतर अपने बच्चों को यह नहीं सिखाते हैं कि निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कैसे कड़ी मेहनत करें और प्रेरित रहें। माता-पिता को बच्चों के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि वे स्कूल में अच्छा कर सकें।

शिक्षक अपने छात्रों के व्यक्तित्व को समान रूप से सुधारने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें सकारात्मक रूप से प्रभावित करने और हर कदम पर उन्हें प्रोत्साहित करने के तरीके ढूंढने की आवश्यकता है। एक आदर्श छात्र का जीवन दूर से मुश्किल लग सकता है। हालांकि आदर्श छात्र का जीवन वास्तव में उन लोगों की तुलना में बहुत अधिक सुलझा हुआ होता है जो अपनी पढ़ाई और अन्य कार्यों पर पूरा ध्यान नहीं देते हैं। आदर्श छात्रों को महत्वकांशी माना जाता है। वे अपने जीवन में उच्च लक्ष्य रखते हैं और उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

(2) हमारे जीवन में अनुशासन का बहुत गहरा महत्व है। अनुशासन ही सफलता की कुंजी है। अनुशासन वह कुंजी है जिससे हम जीवन का विकास कर पाते है और सफलता के अनेक चरण छूते है। अनुशासन हमारी आत्मा में सुधार करता है। यही वह है जो हमें जीवन में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। आईये अनुशासन का महत्व अनुशासन सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि अनुशासित रहकर ही हम सफल और खुशहाल जीवन जी सकते है। हम देखें तो पूरी प्रकृति एक अनुशासन से बंधी हुयी है। सूरज का रोज एक ही दिशा में उगना और उसी तरह अस्त होना अनुशासन के ही प्रणाम हैं। विद्यार्थी के ये पाँचों गुण उनके अनुशासन की ही विभिन्न सीढ़ियाँ हैं। विद्यार्थी जीवन व्यक्ति के सघन साधना का काल है। जिसमें वह स्वयं का शारीरिक, मानसिक और रचनात्मक निर्माण करता है।

अनुशासन दो प्रकार का होता है, पहला - आत्मानुशासन, दूसरा - बाह्र अनुशासन। आत्मानुशासन का मतलब है आत्मा के द्वारा अनुशासन अर्थाथ इसमें किसी अन्य व्यक्ति का बाध्यकारी दबाव नहीं होता और विद्यार्थी अपने जीवन को खुद से प्रेरणा लेकर अनुशासित करता है।

इसमें समय पर उठना अपनी दिनचर्या के जरूरी कामों का निष्पादन कर पढ़ाई के प्रति जागरूक रहना और स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना आदि शामिल हैं।

हम जानते हैं कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मष्तिष्क का निवास होता है इसलिए आत्मानुशासन की प्रेरणा विद्यार्थी के जीवन के निर्माण की पहली सीढी हैं।

दूसरी और बाहरी अनुशासन स्वयं के अलावा किसी दुसरे व्यक्ति के दबाव होने और उसके अधिकारों के कारण माना जानेवाला अनुशासन होता है।

अनुशासन का शाब्दिक अर्थ ही अनु+शासन है। अनु का अर्थ है अनुरूप या अनुसार और शासन का अर्थ है शासित होना या परिचालित होना।

इसका मतलब यह हुआ कि विद्यार्थी बहुत से कामों में खुद के द्वारा परिचालित होता है और बहुत से दुसरे कार्यों में शिक्षक, माँ-बाप और विद्यालय द्वारा परिचालित होता है।

इसलिए इस अवस्था में जो वह सीखता है वे उसके जीवन के स्थाई मूल्य बन जाते हैं। संसार में अनेक महापुरषों ने अनुशासित रहकर ही पुरे विश्व का मार्गदर्शन किया है।

यही कारण है की अनुशासन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारे जीवन में एक महान भूमिका निभाता हैं।

जीवन के हर कदम के लिए अनुशासन बहुत मूल्यवान है। हमें हर समय अनुशासित रहना होगा। हमें हर समय अनुशासन में रहना चाहिए क्योंकि एक शांतिपूर्ण जिंदगी के लिए यह बेहद जरूरी हैं।

अनुशासन हमें नियंत्रण में रखता है। यह व्यक्ति को जिम्मेदार इन्सान बनने में मदद करता है और यह व्यक्ति को आगे बढ़ने और सफलता पाने के लिए प्रेरित करता है। जबकि अनुशासित जीवन के बिना हम अपने लक्ष्यों की दिशा में काम नहीं कर सकते हैं।

अगर हम अनुशासित रहकर जीवन बिताये तो हम अपने जीवन को खुशहाल और भविष्य को उज्ज्वल बना सकते हैं। आशा करता हूँ, अब आप जान गये होंगे की हमारे जीवन में अनुशासन कितना महत्वपूर्ण है।

इसके अलावा भी हम यहाँ एक कहानी के माध्यम से आपको अनुशासन का महत्व बताने की कोशिश कर रहे हैं।

Answered by Anonymous
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प्रस्तावना

1)एक आदर्श छात्र वह है जो शिक्षा के साथ-साथ अन्य सह-पाठयक्रम गतिविधियों में भी अच्छा है। हर माता-पिता चाहते हैं कि उसका बच्चा स्कूल में अच्छा प्रदर्शन करे पर कुछ ही बच्चे अपने माता-पिता की उम्मीदें पूरी कर पाते हैं। माता-पिता की भूमिका न केवल अपने बच्चों को व्याख्यान देने और उनसे उच्च उम्मीदें लगाने की होती है बल्कि उन अपेक्षाओं को पूरा करने में उनकी मदद करने और उनका मार्गदर्शन करने की भी होती है।

एक आदर्श छात्र की विशेषताएं

यहां एक आदर्श छात्र की मुख्य विशेषताएं बताई गई हैं:

मेहनती

एक आदर्श छात्र लक्ष्य निर्धारित करता है और उन्हें प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करता है। वह अध्ययन, खेल और अन्य गतिविधियों में सर्वश्रेष्ठ करना चाहता है और ऐसा करने के लिए अपने सर्वोत्तम प्रयास में शामिल होने से संकोच नहीं करता।

लक्ष्य निर्धारण करना

एक आदर्श छात्र कभी भी मुश्किल होने पर हार नहीं मानता। वह निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निर्धारित रहता है और सफ़लता प्राप्त करने के लिए लगातार कार्य करता है।

समस्या निवारक

कई छात्र विद्यालय / कोचिंग सेंटर तक देर से पहुंचने, अपने होमवर्क को पूरा नहीं करने, परीक्षा में अच्छी तरह से प्रदर्शन नहीं करने आदि के लिए बहाने देते हैं। हालांकि एक आदर्श छात्र वह है जो बहाने मारने की बजाए ऐसी समस्याओं का हल ढूंढता है।

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