plz write a paragraph on pratahkal ka drishya in hindi ... plz..!
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प्रातःकाल का दृश्य :
प्रातःकाल का दृश्य बहुत ही मन मोहक होता है। चारों ओर शुद्ध वायु होने के कारण एक स्फूर्ति का अनुभव होता है । शांत और ठंडा वातवरण मन मे उमंग भर देता है । सूरज की अपनी चंचल लाल किरणों के साथ धीरे धीरे उदित होता है और पूरी धरती का रंग परिवर्तित होने लगता है । तारे आसमान मे से धीरे धीरे गायब होने लगते है । अंधेरा मानो स्वयं डर कर भागने लगता है। पक्षी अपने घोसलों से निकल कर अपनी अपनी मधुर आवाज मे गाने लगते है । मुर्गा बांग देकर सब को उठाने का प्रयास करता है। बाग मे फूल खिल जाते है और चारो तरफ खुशबू फ़ेल जाती है। इस प्रकार प्रातःकाल का दृश्य बहुत सुंदर और मन भावन होता है ।
प्रातःकाल का दृश्य बहुत ही मन मोहक होता है। चारों ओर शुद्ध वायु होने के कारण एक स्फूर्ति का अनुभव होता है । शांत और ठंडा वातवरण मन मे उमंग भर देता है । सूरज की अपनी चंचल लाल किरणों के साथ धीरे धीरे उदित होता है और पूरी धरती का रंग परिवर्तित होने लगता है । तारे आसमान मे से धीरे धीरे गायब होने लगते है । अंधेरा मानो स्वयं डर कर भागने लगता है। पक्षी अपने घोसलों से निकल कर अपनी अपनी मधुर आवाज मे गाने लगते है । मुर्गा बांग देकर सब को उठाने का प्रयास करता है। बाग मे फूल खिल जाते है और चारो तरफ खुशबू फ़ेल जाती है। इस प्रकार प्रातःकाल का दृश्य बहुत सुंदर और मन भावन होता है ।
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प्रस्तावना:
संसार का हर व्यक्ति सदैव सुखी रहकर दीर्घजीवी बनना चाहता है । केवल पौष्टिक भोजन करके मनुष्य सुखी नही रह सकता । अच्छे मकानो व शान शौकत से रहकर मानव सुखी नही रह सकता ।
सुखी रहने के लिए स्वस्थ शरीर की आवश्यकता होती है, क्योकि सुख व आनन्द किसी भी बाहरी वस्तु से प्राप्त नहीं होते है, वे तो अपने हृदय से ही प्राप्त किये जा सकते हैं । शरीर स्वस्थ न रहने से मन अशान्त रहता है, मनुष्य का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है ।
सर्व-सम्पन्न रहते हुए भी अस्वस्थ शरीर में कोई भी शान्ति प्राप्त नहीं कर सकता । स्वस्थ शरीर के लिए व्यायाम, भ्रमण, श्रम की आवश्यकता होती है । प्रातःकाल का भ्रमण शरीर को स्वस्थ रखने में काफी सहायक होता है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन प्रात: भ्रमण करना चाहिए ।
प्रातःकालीन भ्रमण का महत्त्व:
प्रात: काल के भ्रमण का महत्त्व केवल इसलिए नहीं होता है की वातावरण मनोरम होता है । मन्द-मन्द शीतल समीर हृदय में अत्यन्त आहाद पैदा करती है । चन्द्रमा अपने स्वच्छ प्रकाश के साथ तारागणो सहित ओझल होने जा रहा होता है । पूर्व दिशा की लालिमा बाल अरुण के उदय होने का संकेत दे रही है ।
पक्षियों का कलरव चित्ताकर्षक होता है । सुबह की वायु एक प्रकार की अमृत है । पूर्व दिशा में लाल पक्षी की तरह या काँसे के थाल सदृश बाल रवि, उदय की ओर बढ़ रहा है । कमल, सूर्य-कमल खिल रहे हैं । उपवनों की शोभा द्विगणित हो रही है । उस समय का दृश्य किसको मोहित नहीं करता है । कवि हृदय खिल पड़ता है । हिलोरे लेने लगता है । फूट पड़ती है कमनीय कल्पना कविता बनकर ।
प्रातःकालीन भ्रमण व्यायाम का अंग-प्रात-काल का भ्रमण भी एक प्रकार का व्यायाम है । शरीर को स्वस्थ रखने के लिये व्यायाम आवश्यक है । भ्रमण करने से व्यायाम के सारे लाभ प्राप्त होते हैं । प्रात: उठकर मनुष्य जब घूमने के लिए निकलता है उस समय उसके शरीर के प्रत्येक अवयव क्रियाशील हो जाते हैं ।
व्यायाम के अन्य साधनों से शरीर का कोई विशिष्ट अंग ही प्रभावित होता है परन्तु भ्रमण से शरीर के प्रत्येक अगों में गति पैदा होती है । प्रातःकालीन भ्रमण में हाथ- की कसरत होती है । फेफडें को शुद्ध वायु प्राप्त होती है । कई लोग भ्रमण करते हुए दौड़ भी लगाते हैं । वह भी व्यायाम का ही एक अंग है है ।
संसार का हर व्यक्ति सदैव सुखी रहकर दीर्घजीवी बनना चाहता है । केवल पौष्टिक भोजन करके मनुष्य सुखी नही रह सकता । अच्छे मकानो व शान शौकत से रहकर मानव सुखी नही रह सकता ।
सुखी रहने के लिए स्वस्थ शरीर की आवश्यकता होती है, क्योकि सुख व आनन्द किसी भी बाहरी वस्तु से प्राप्त नहीं होते है, वे तो अपने हृदय से ही प्राप्त किये जा सकते हैं । शरीर स्वस्थ न रहने से मन अशान्त रहता है, मनुष्य का स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है ।
सर्व-सम्पन्न रहते हुए भी अस्वस्थ शरीर में कोई भी शान्ति प्राप्त नहीं कर सकता । स्वस्थ शरीर के लिए व्यायाम, भ्रमण, श्रम की आवश्यकता होती है । प्रातःकाल का भ्रमण शरीर को स्वस्थ रखने में काफी सहायक होता है, इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन प्रात: भ्रमण करना चाहिए ।
प्रातःकालीन भ्रमण का महत्त्व:
प्रात: काल के भ्रमण का महत्त्व केवल इसलिए नहीं होता है की वातावरण मनोरम होता है । मन्द-मन्द शीतल समीर हृदय में अत्यन्त आहाद पैदा करती है । चन्द्रमा अपने स्वच्छ प्रकाश के साथ तारागणो सहित ओझल होने जा रहा होता है । पूर्व दिशा की लालिमा बाल अरुण के उदय होने का संकेत दे रही है ।
पक्षियों का कलरव चित्ताकर्षक होता है । सुबह की वायु एक प्रकार की अमृत है । पूर्व दिशा में लाल पक्षी की तरह या काँसे के थाल सदृश बाल रवि, उदय की ओर बढ़ रहा है । कमल, सूर्य-कमल खिल रहे हैं । उपवनों की शोभा द्विगणित हो रही है । उस समय का दृश्य किसको मोहित नहीं करता है । कवि हृदय खिल पड़ता है । हिलोरे लेने लगता है । फूट पड़ती है कमनीय कल्पना कविता बनकर ।
प्रातःकालीन भ्रमण व्यायाम का अंग-प्रात-काल का भ्रमण भी एक प्रकार का व्यायाम है । शरीर को स्वस्थ रखने के लिये व्यायाम आवश्यक है । भ्रमण करने से व्यायाम के सारे लाभ प्राप्त होते हैं । प्रात: उठकर मनुष्य जब घूमने के लिए निकलता है उस समय उसके शरीर के प्रत्येक अवयव क्रियाशील हो जाते हैं ।
व्यायाम के अन्य साधनों से शरीर का कोई विशिष्ट अंग ही प्रभावित होता है परन्तु भ्रमण से शरीर के प्रत्येक अगों में गति पैदा होती है । प्रातःकालीन भ्रमण में हाथ- की कसरत होती है । फेफडें को शुद्ध वायु प्राप्त होती है । कई लोग भ्रमण करते हुए दौड़ भी लगाते हैं । वह भी व्यायाम का ही एक अंग है है ।
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