Hindi, asked by hazratalithebest, 1 year ago

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Answered by theking20
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Hey mate

मानव और प्रक्रति

मानव और प्रक्रति के बारे में कुछ बाते।विज्ञान जिस प्रकार प्रगति कर रहा है, उसी के दुष्परिणाम स्वरूप हमारी प्रकृति दूषित होती जा रही है। चारों ओर वाहनों का बढ़ता शोर, वृक्षों की कटाई, औद्योगिक इकाइयों में वृधि, स्वच्छता की भावना में कमी आदि हमारे पर्यावरण को दूषित कर रहे हैं। मनुष्य प्रकृति का अभिन्न अंग है। अपने जीवन की सभी प्रकार की आवश्यकताओं के लिए वह प्रकृति पर निर्भर है। परंतु अपनी असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए वह प्रकृति का दोहन करने पर जुटा हुआ है।इसका कुपरिणाम है बढ़ता हुआ प्रदूषण। यदि पर्यावरण प्रदूषित हो तो जीवन बीमारियों और कठिनाइयों से भर जाता है। पर्यावरण की रक्षा के लिए हम महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। यदि हर नागरिक सजग हो तो पर्यावरण प्रदूषित होगा ही नहीं। प्रदूषित वातावरण इंसानों के लिए ही नहीं जानवरों और पक्षियों के लिए भी खतरनाक है।

हमारे पर्यावरण की रक्षा के लिए हम सभी को मिलकर संकल्प लेना चाहिए। सब के संयुक्त प्रयास से पर्यावरण को दूषित होने से आसानी से बचाया जा सकता है। हमें चाहिए कि हम नदियों में कूड़ा-करकट, फूल, पूजा सामग्री, जली हुई लकडी, मूर्तियाँ आदि न तो स्वयं डालें, न ही और किसी को डालने दें। हमें लोगों में जागरूकता लानी होगी कि इन कार्यों से पर्यावरण प्रदूषित होता है। नदी, तालाबों पर कपड़े धोने व जानवरों को नहलाने से लोगों को रोकना चाहिए ताकि पर्यावरण प्रदूषित न हो। बड़ी फैक्टरियों की बची हुई गंदगी, बचा तेल, कूड़ा-करकट आदि। की नदियों में बहाए जाने पर रोक लगानी चाहिए। यदि कहीं ऐसा हो रहा है तो हमें उसे रोकने का प्रयास करना चाहिए। यदि रहे प्रकृति की रक्षा में ही मानव की सुरक्षा है। मानव को प्रक्रति का ध्यान रखना चाहिए। प्रकृति है।तबी मानव है।

Hope that helps you


hazratalithebest: Thanks
hazratalithebest: Thanks u so much
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