Hindi, asked by ritika103, 1 year ago

plzz answer .........hindi me..
plzzz ap ye mt bolna ki Goole pr search kr lo .

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Answered by Anonymous
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bhedbaav nhi tha
log lathi danda ki tarha leke ghoomte the
6 bajte hi log chad( kuch peeke)peekar hosh kho jaate
koi paraya or gareeb aadmi ghar ke andar nhi ghus sakte the
ghatiyon me daakuoo ka khatra bana rehta tha
Answered by cyruswag
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मानसिकता से प्रेरित चीन तिब्बत को अपना अभिन्न अंग मानता है । इस मुद्‌दे पर वह किसी से कोई भी बातचीत नहीं करना चाहता । लेकिन तिब्बत कभी भी चीन का हिस्सा नहीं रहा ।

चीन-तिब्बत पर अपना दावा केवल दलाई लामा के मंचू शासकों से रिश्तों के आधार पर करता है । तिब्बत पर अपनी सत्ता कायम करने वाले दलाई लामा ने 17वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में चीन के मचू शासकों (1644 से 1911 तक शासन) से घनिष्ठ धार्मिक सम्बन्ध कायम किए थे ।

दलाई लामा ने मंचू राजाओं का आध्यात्मिक गुरू बनना स्वीकार कर लिया था जिसके बदले में उन्हें राजाओं से संरक्षण प्राप्त हुआ । लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं लगाया जा सकता कि ऐसा करके तिबत ने अपनी आजादी खो दी । जब 20वीं शताब्दी के आरंभ में ब्रिटेन ने ल्हासा पर हमला किया तो उस समय चीन का तिब्बत पर नियंत्रण निष्प्रभावी हो चुका था । 1911 से 1950 में चीन के आधिपत्य तक तिब्बत पूर्ण रूप से स्वतंत्र राष्ट्र रहा ।

अगर तिब्बत पर चीन के कब्जे की बात करें तो 1949 में एक तरफ माओत्से तुंग ने चीन में अपनी सत्ता स्थापित की, वहीं इसके अगले साल चीन की लाल सेना जबरन तिब्बत में घुस गई । हालांकि चीन की साम्यवादी सरकार और तिब्बत के प्रतिनिधियों में 195 में एक समझौता हुआ था जिसके अनुसार चीन, तिब्बत की राजनीतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संस्थाओं से कोई छेड़छाड़ नहीं करने पर सहमत हो गया था । लेकिन यह समझौता केवल दिखावा था ।

1959 में तिब्बत की राजधानी ल्हासा में लोगों ने बड़ी संख्या में एकत्रित होकर चीन से तिब्बत छोड जाने को कहा । इसके बाद चीन की दमनात्मक कार्रवाई के कारण आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा को अपने समर्थकों के साथ तिब्बत छोड्‌कर भारत में शरण लेनी पड़ी । स्मरण रहे कि निर्



ritika103: ok
swagg0: hi
sardaarniji2002: hlo
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