plzz help me .....essay on child safety ....in hindi....plzzz naa yrrr koi to kro
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बच्चों के खिलाफ जघन्य आपराधिक कृत्य जैसे अपहरण दुर्व्यवहार मारपीट हत्या और बलात्कार जैसे समाचार लगातार सुर्खियों में रहते हैं। यह केवल परेशान करने वाले ही नहीं बल्कि हमें चौका देते हैं। यह सही है कि हम इन घृणित व्यक्तियों की निंदा करते हैं। हमारे दिल में उन पीड़ित माता-पिता के लिए दर्द भर जाता है जो अपने बच्चों को फिर कभी नहीं देख सकते। हमें महसूस करना चाहिए कि हम एक ऐसे समय में रह रहे हैं जहां बच्चों के लिए आजादी से घूमना सुरक्षित नहीं है। बच्चों को नुकसान और हिंसा से बचाना केवल माता-पिता और संबंधित अधिकारियों का ही कर्तव्य नहीं है बल्कि समाज को भी आगे आकर अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की सबसे पहली जिम्मेदारी होती है उसके माता पिता और परिवार की। माता पिता को सदैव सतर्क रहना चाहिए और अपने बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखनी चाहिए। उन्हें अपने बच्चों के बारे में अधिक से अधिक जानकारी रखने की जरूरत है, खासकर जब वह बाहर जाते हैं या खेल के मैदान में हो या खरीदारी करते समय। इसके अलावा उन्हें अपने बच्चों के क्रियाकलापों पर नजर रखने की जरूरत है। एक बच्चे को बिना सोचे समझे छोड़ देना और यह मान लेना कि बच्चा अंततः सुरक्षित घर लौट आएगा नासमझी है। माता पिता को उन स्थानों के बारे में सीमा निर्धारित करनी चाहिए जहां बच्चे जा सकते हैं और कहां नहीं जा सकते। उन्हें अपने बच्चों को बताना चाहिए कि वह क्या कर सकते हैं और क्या नहीं कर सकते हैं। बच्चों को लिफ्ट और उपहार देने वाले अजनबीयों को नहीं कहना भी सिखाया जाना चाहिए।
पुलिस तथा अन्य सरकारी संस्थाएं आदि कई उपायों को लागू करके बच्चों के लिए बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए ऐसे स्थान जहां बच्चों की सुरक्षा को अधिक जोखिम होता है जैसे शॉपिंग मॉल खेल के मैदान, पार्क आदि में गस्त बढ़ाना। वह बाल सुरक्षा पर जागरूकता अभियान भी चला सकते हैं। ऐसे स्थान जहां बच्चों का अधिक आवागमन होता है वहां सीसीटीवी स्थापित करना भी बाल सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक अच्छा कदम है।
विद्यालयों में बाल सुरक्षा पर विशेष जोर देना चाहिए क्योंकि छोटे बच्चे कमजोर होते हैं। इसलिए प्राथमिक स्कूलों में बाल सुरक्षा की शिक्षा दी जानी चाहिए ताकि बच्चे सीख सके कि कैसे अजनबीयों से सुरक्षित रहें। बच्चों को यह भी सिखाना चाहिए कि वह किस पर भरोसा कर सकते हैं और किस पर नहीं तथा खतरा महसूस होने पर कैसे मदद मांगी चाहिए।
यह एक कठोर लेकिन कड़वा सच है कि दुनिया अब उन मासूम बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है क्योंकि हर गली नुक्कड़ पर यौन शिकारी अपराधी आदि घात लगाए बैठे हैं। बच्चों के रहने और स्वस्थ विकास के लिए एक सुरक्षित वातावरण केवल तभी बनाया जा सकता है जब सभी लोग जिनमें बच्चों के माता-पिता स्कूल समाज पुलिस और अन्य सरकारी संस्थाएं एक साथ मिलकर प्रयास करें|
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m
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me ker skta hu bt