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सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम् ।
वृणुते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव सम्पदः ||
अभिवर्षति योSनुपालयन्विधिबीजानि विवेकवारिणा ।
स सदा फलशालिनीं क्रियां शरदं लोक इव अधितिष्ठति || किरातार्जुनीयम् 2/30,31
किसी भी कार्य को करने से पूर्व भली भाँति उस पर सोच विचार करना चाहिए | अचानक ही बिना सोचे विचारे कोई कार्य नहीं करना चाहिए | क्योंकि यदि बिना सोचे समझे कोई कार्य करेंगे तो वह कष्टकारक हो सकता है | समस्त सम्पत्तियाँ गुणों की लोभी होती हैं और जो लोग सोच विचार कर कार्य करते हैं सम्पदाएँ स्वयं ही उनका वरण करती हैं | कर्तव्य कर्म रूपी बीज का विवेक रूपी जल से धैर्य के साथ जो व्यक्ति सिंचन करेगा उसे अपने कर्मों में उसी प्रकार सफलता प्राप्त होगी जिस प्रकार शरद ऋतु में वृक्ष स्वयं पल्लवित और पुष्पित हो जाते हैं |
अकारण ही क्रोध करना इसका एक प्रमुख उदाहरण है | किसी ने किसी के विषय में कुछ बोल दिया और हम क्रोध में आ गए | परिणाम क्या होगा ? हमसे कुछ भी अनर्थ हो जाएगा जिसका दुष्परिणाम हमें भोगना पड़ेगा | या फिर, कई बार ऐसा भी होता है कि लोग अफवाहों के बहकावे में आ जाते हैं और भीड़ की मानसिकता के शिकार होकर अनर्थ कर बैठते हैं – बिना सोचे विचारे कि भीड़ जो कर रही है या बोल रही है उसमें कितनी सच्चाई है | इस सब बातों के परिणाम निश्चित रूप से कष्टदायी ही होते हैं |
केवल यही एक नहीं, अन्य भी बहत से क्षेत्र हैं जहाँ बहुत सोच विचार कर आगे बढ़ना होता है | जैसे, आज जितनी शाखाएँ शिक्षा और व्यवसाय आदि के क्षेत्र में सामने आती जा रही हैं ऐसे में बिना सोचे समझे किसी भी शाखा का चुनाव कर लेंगे तो सफलता नहीं मिलेगी | सोचने विचारने से व्यक्ति को इस बात का ज्ञान होता है कि जिस ओर वह जाने का मन बना रहा है उस ओर जाने की योग्यता उसमें है या नहीं, और यदि योग्यता है तो – सामर्थ्य है अथवा नहीं, और यदि योग्यता और सामर्थ्य दोनों हैं तो दृढ़ संकल्पशक्ति है या नहीं | और केवल शिक्षा तथा नौकरी या व्यवसाय ही नहीं, जीवन के किसी भी क्षेत्र में बिना सोचे समझे किये गए कार्य में सफलता भाग्य से ही प्राप्त होती है | सोचने विचारने से व्यक्ति के समक्ष अनेक मार्ग अनावृत हो जाते हैं | एक द्वार बन्द हो भी जाए तो दूसरा खुल जाता है और लक्ष्य स्पष्ट हो जाता है | यों ही बिना सोचे समझे चल देंगे तो आगे रास्ता बन्द भी मिल सकता है, लेकिन सोच समझ कर आगे बढेंगे तो मार्ग स्पष्ट होने की सम्भावनाएँ बढ़ जाएँगी |
लेकिन धैर्य तो रखना ही होगा | जल्दबाज़ी में किये गए कार्य में कभी ठोकर खाकर गिर भी सकते हैं | पूरे धैर्य के साथ सरलता से कार्य करेंगे तो गिरने की सम्भावनाएँ कम हो जाएँगी | एक Vedic Astrologer जब किसी व्यक्ति विशेष की कुण्डली का व्यापक अध्ययन करता है तो इन समस्त विषयों में बहुत सहायता मिल जाती है कि किस विषय पर विचार करें और आगे बढ़ने के लिए अनुकूल समय कब होगा तथा फलप्राप्ति की सम्भावना कब तक है | सम्भावना इसलिए – क्योंकि ज्योतिष सम्भावनाओं का ही विज्ञानं है…
तो, हम पूर्ण संकल्प शक्ति के साथ कर्मरत रहकर उचित दिशा में प्रयास करते हुए लक्ष्य प्राप्ति की ओर अग्रसर रहें यही कामना है…
hope it will help you
please mark brainlest
Answer:
yrr vo phone switch off ho gya tha