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नई दिल्ली: 3 अगस्त यानी आज रक्षा बंधन (Raksha Bandhan 2020 ) का त्योहार है. इस दिन बहन अपने भाई को राखी बांधती है और भाई उसकी जीवनभर रक्षा करने का वजन देता है. यह पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस साल रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि और दीर्घायु आयुष्मान का शुभ संयोग बन रहा है. रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2020 SMS & Quotes) पर ऐसा शुभ संयोग 29 साल बाद आया है. साथ ही इस साल भद्रा और ग्रहण का साया भी रक्षाबंधन पर नहीं पड़ रहा है. इस साल कोरोना महामारी के चलते हो सकता है कि भाई-बहन एक-दीसरे से ना मिल पाएं और उन्हें वीडियो कॉल के जरिए ही एक दूसरे ये बात करनी पड़े, लेकिन फिर भी आप उन्हें मैसेज भेजकर विश तो जरूर कर सकती हैं. ऐसे में आज हम आपके लिए कुछ कोट्स, मैसेज लेकर आए हैं. जिनकी मदद से आप अपने भाई या बहन ही नहीं बल्कि आप अपने रिश्तेदारों को भी इस खास दिन की अनोखे अंदाज में शुभकामनाएं दे सकते हैं.
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भूमिका – रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के पवित्र स्नेह का प्रतीक है । यह हिंदुओं का विशेष त्योहार है । भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक ऐसा त्योहार विश्व के किसी भी देश में नहीं मनाया जाता । श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाए जाने के कारण इसे श्रावणी नाम से भी जाना जाता है ।
पौराणिक एवं ऐतिहासिक संबंध – इतिहास को देखने पर रक्षाबंधन के तीन रूप नजर आते हैं । सर्वप्रथम रक्षा की कामना के रूप इसका हुआ । युद्ध समय, व्यापार प्रतीक के में प्रयोग भूमि में जाते के लिए विदेशों में समुद्र यात्रा पर जाने से पहले पत्नियां, परिवार के अन्य सदस्य, ब्राह्मण आदि रक्षा सूत्र बांधकर पुरुष के सुरक्षित लौटने की कामना करते थे । इस बात के कई उदाहरण मिलते हैं । कहते हैं कि देवों तथा असुरों के मध्य भयंकर युद्ध छिड़ जाने पर इंद्र ने युद्ध भूमि में जाने से पूर्व उसकी पत्नि शची ने अपने पति की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा था । इसका दूसरा रूप हमें उस समय देखने को मिलता है जब आश्रितों द्वारा सशक्तों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनसे प्रण लिया जाता था कि वे उनकी रक्षा करेंगे । इसके प्रमाण गुरुकुल प्रथा में मिलते हैं । गुरुकुलों में इस दिन अध्ययन एवं अध्यापन का नववर्ष प्रारंभ होता है । इस दिन राजे-महाराजे गुरुकुलों में जाकर यज्ञ में भाग लेते हैं और वेद, ब्राह्यण एवं गौ-रक्षा का प्रण लेते हैं । तब ऋषि-महर्षि राजाओं की कलाईयों पर रक्षासूत्र बांधते थे । सिकन्दर एवं पोरस कें मध्य युद्ध में सिकन्दर की प्रेमिका ने पोरस की कलाई पर राखी बांधकर अपने प्रेमी. की प्राण रक्षा का वचन लिया था । यही कारण है कि सिकन्दर वध के बार-बार अवसर मिलने पर भी पोरस ने सिकन्दर का वध नहीं किया । संभवत : राखी बांधने के कारण मुंहबोली बहन के सुहाग की रक्षा के लिए ऐसा किया होगा । इसी प्रकार जब बहादुर शाह ने मेवाड़ पर आक्रमण किया तो चित्तौड़ की महारानी कर्मवती ने मुगल शासक हुमायूँ को राखी भेजी थी तथा हुमायूँ ने कर्मवती की रक्षा भी की थी । राखी के धागे में इतनी शक्ति है कि एक विधर्मी भी उससे प्रभावित हुए बिना न रह सका ।
पर्व मनाने का ढंग – रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के संबंध को और भी मधुर एवं प्रगाढ़ बना देता है । इस दिन बहनें अपने भाई के हाथ में राखी बांधकर उनसे अपनी रक्षा का व्रत लेती हैं तथा भाई की दीर्घायु की कामना करती हैं । भाई बहन की रक्षा का वचन देता है । आजकल भाई अपनी सामर्थ्य अनुसार बहन को उपहार भी देता है । राखी से कुछ दिन पहले ही बाजार राखियों, उपहारों एवं मिठाईयों से सजे होते हैं । इसका प्रारंभिक रूप मौली का धागा था परंतु आज के आडम्बर प्रधान युग में राखियों में भी आडम्बर दिखाई देता है । बहनें राखी, मिठाई एवं फल आदि चीजें भाई को भेंट करती हैं तथा भाई आशीर्वाद तथा उपहार या रुपये देता है ।
आश्रितों की रक्षा से होता हुआ आज यह त्योहार विशेषकर भाई द्वारा बहन की रक्षा के भाव तक सीमित होकर रह गया है । इस परिवर्तन का कारण समकालीन राजनैतिक परिस्थितियां थीं जिसमें बहन की रक्षा करना भाई का उत्तरदायित्व हो गया । प्राचीनकाल में वैसे तो .स्त्रियां तलवारबाजी, घुड़सवारी आदि में प्रवीण थी तथा अपनी रक्षा स्वयं कर सकती थी परंतु आपत्ति के समय रक्षा सूत्र बांधकर भाईयों की सहायता भी लेती थी ।
उपसंहार – आजकल राखी के त्योहार की पवित्रता धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है तथा सच्चे प्रेम का स्थान खो गया है । बहन कोकेवल धन या उपहार देकर भाई का कर्त्तव्य समाप्त नहीं हो जाता । हमें राखी के त्योहार की पवित्रता को भी ध्यान में रखना चाहिए तथा आजीवन बहन की रक्षा का व्रत लेना चाहिए । राखी का महत्त्व उसकी सुन्दरता में नहीं बल्कि उन धागों में छिपी प्राचीन परंपरा एवं भाई-बहन के प्यार की पवित्र भावना में है ।