Hindi, asked by 20081289, 7 months ago

Poem about दादी in hindi​

Answers

Answered by yadavmuskan7481
1

Answer:

दादी से था रहा महकता

मेरे बचपन का संसार,

मम्मी पापा से भी ज्यादा

वह करती थी मुझसे प्यार।

मुझे प्रेम से पास बिठाकर

रोज खिलाती थी वह चीज,

कितनी कितनी मैं जिद करती

पर न उसे आती थी खीज ।

कभी दिखाई मैं ना पड़ती

हो उठती दादी बेचैन ,

चाह रही उसकी बस यह ही

रहूँ साथ उसके दिन रैन ।

गोदी में मुझको दुबकाती

जब मम्मी की पड़ती मार,

और कभी मेरे रोने पर

रोती खुद मुझको पुचकार।

पापा जब भी मुझे डाँटते

दादी करती बीच बचाव,

कहती - मेरी मुनिया है यह

अतः न इस पर खाओ ताव।

जहाँ कहीं जाती थी दादी

ले जाती मुझको भी साथ,

सबसे वह पहचान कराती

रख मेरे माथे पर हाथ ।

जब मैं थोड़ी बड़ी हुई तो

दादी रहती थी बीमार,

बुझी बुझी आँखों से तब भी

रहती थी वह मुझे निहार ।

कभी-कभी दुर्बल हाथों से

मुझे बुलाकर अपने पास,

कहती - मेरे जाने पर तू

होना बच्ची नहीं उदास।

कभी बाँह में भरकर मुझको

सीने से लेती थी भींच,

बूढ़ी आँखें तब दादी की

मुझे अश्रु से देती सींच।

नहीं रही दादी अब मेरी

शेष रह गई उसकी याद,

कभी प्रेम ना पाया ऐसा

दादी के जाने के बाद ।

*******

- सुरेश चन्द्र "सर्वहारा"

Explanation:

hope it helps ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

Answered by ishu7567
2

दादी मां "

बहुत याद आती है मुझे तेरी, दादी मां

जाने कहां खो गई मेरी प्यारी दादी मां .....

वो आंगन में बैठी,

मेरे बालों को बड़े प्यार से सहलाना

मुझे याद आज भी हैं ।

जब वो बड़ों के साथ बड़ी और

छोटो के साथ छोटी बन जाया करती थी ,

मैं खेलता था जब अपने आंगन में ,

दादी का वो बच्चा बन जाना

मुझे याद आज भी है ।

बहुत याद आती है मुझे तेरी, दादी मां

जाने कहां खो गई मेरी प्यारी दादी मां....

वो डांटती थी मुझे , मुझे बुरा लगता था

पर दादी मां का वो डांटना

मुझे याद आज भी है ।

कमी कुछ भी नहीं है आज मेरे पास

ये भी दादी की दुआ का असर है ,

मगर दादी मां आज मेरे पास नहीं

लगता है मानो मेरे पास पूरे जहान

की कमी आज भी है ।

आज हूं मैं बहुत धनी,

रुपयों पैसों की कोई कमी नहीं,

पर दादी मां की जेब में वो खनकते

सिक्कों की कमी आज भी है ।

बहुत याद आती है मुझे तेरी, दादी मां

जाने कहां खो गई मेरी प्यारी दादी मां....

जमाना बदल गया है आज ,

सभी ऐशो आराम यहां ,

मखमल के गद्दों पर सोते हैं आज,

मगर दादी की गोद जैसा सुखचैन कहां ।

दौर आ गया ए. सी. , कूलर , पंखों का

मगर दादी के वो बीजने की हवा

मुझे याद आज भी हैं ।

सुना मैंने बड़े - बड़े कवियों को

और कहानीकारों को ,

मगर दादी की वो कहानियां

मुझे याद आज भी है ।

बहुत याद आती है मुझे तेरी, दादी मां

जाने कहां खो गई मेरी प्यारी दादी मां.....

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