poem about water in hindi
Answers
पानी है न धरती पर महिमान्वित अमरूत समान
प्यास बुझाये दिये मेरे दिल को सुकून आराम
पेट भर पिये तो जिये कल तक हम
अगर नहीं तो होंगे भी कहाँ हम
बहता है पानी नदियों और झरनों में
सुंदर और प्रशांत मन भाता है देखने में
खून के साथ दौड़ता भी है सब के नस नसों में
जान डालता हैं न मनुष्य जंतु बदनों में
कितने अच्छे सच्चे गुण है पानी के अंदर
दीखता है पारदर्शक रंग रहित स्वच्छ तेज गतिशील
बोलता है हम से कि बनो मानव प्रगतिशील
लगाके दिमाग, बहाकर खून पसीना तरक्की कर
मैं खुश हूँ बहुत कुछ जब तरक्की करते हो तुम
दुःख तो है कि तुम फैलाते भी हो जल प्रदूषण
प्रार्धना करता हूँ ज़ोर से मेरी मीठी आवाज में
हे लोगों न करना प्रदूषण मेरे पानियों में
पियो और जियो लेकिन बचाते हुए कुछ जलपानी
जैसे तुम्हारे पुरखों ने बचाकर रखा तेरे लिए
आनेवाले पीढी को भी चाहिए उचित स्वच्छ पानी
हमारे बच्चे न नाराज हो हमसे कि हम ने किया बरबादी
उगे वन बने फसल हुए खुश चिड़ियाँ
करे फूल पत्तों को हरा विकसित
पके खाना घरों में स्वादिष्ट
वाकी भगवान है पानी के वेश में ।
Answer:
पानी है न धरती पर महिमान्वित अमरूत समान
प्यास बुझाये दिये मेरे दिल को सुकून आराम
पेट भर पिये तो जिये कल तक हम
अगर नहीं तो होंगे भी कहाँ हम
बहता है पानी नदियों और झरनों में
सुंदर और प्रशांत मन भाता है देखने में
खून के साथ दौड़ता भी है सब के नस नसों में
जान डालता हैं न मनुष्य जंतु बदनों में
कितने अच्छे सच्चे गुण है पानी के अंदर
दीखता है पारदर्शक रंग रहित स्वच्छ तेज गतिशील
बोलता है हम से कि बनो मानव प्रगतिशील
लगाके दिमाग, बहाकर खून पसीना तरक्की कर
मैं खुश हूँ बहुत कुछ जब तरक्की करते हो तुम
दुःख तो है कि तुम फैलाते भी हो जल प्रदूषण
प्रार्धना करता हूँ ज़ोर से मेरी मीठी आवाज में
हे लोगों न करना प्रदूषण मेरे पानियों में
पियो और जियो लेकिन बचाते हुए कुछ जलपानी
जैसे तुम्हारे पुरखों ने बचाकर रखा तेरे लिए
आनेवाले पीढी को भी चाहिए उचित स्वच्छ पानी
हमारे बच्चे न नाराज हो हमसे कि हम ने किया बरबादी
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