poem in hindi any poem
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जब तपता है सारा अंबर
आग बरसती है धरती पर|
फैलाकर पत्तों का छाता
सब को सदा बचाते पेड़|
पंछी यहां बसेरा पाते
गीत सुना कर मन बहलाते|
वर्षा, आंधी, पानी में भी
सबका घर बन जाते पेड़|
इनके दम पर वर्षा होती
हरियाली है सपने बोती|
धरती के तन मन की शोभा
बनकर के इठलाते पेड़|
जितने इन पर फल लग जाते
ये उतना नीचे झुक जाते|
औरों को सुख दे कर के भी
तनिक नहीं इतराते पेड़|
हमें बहुत ही भाते पेड़
काम सभी के आते पेड़|
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