poem in Hindi for competition class 8
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इस कविता को गीतकार तनवीर ग़ाज़ी ने लिखा है।
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है,
तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ
समझ न इनको वस्त्र तू
ये बेड़ियां पिघाल के
बना ले इनको शस्त्र तू
बना ले इनको शस्त्र तू
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है
चरित्र जब पवित्र है
तो क्यों है ये दशा तेरी
ये पापियों को हक़ नहीं
कि ले परीक्षा तेरी
कि ले परीक्षा तेरी
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
जला के भस्म कर उसे
जो क्रूरता का जाल है
तू आरती की लौ नहीं
तू क्रोध की मशाल है
तू क्रोध की मशाल है
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है
तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है
चूनर उड़ा के ध्वज बना
गगन भी कंपकंपाएगा
अगर तेरी चूनर गिरी
तो एक भूकंप आएगा
तो एक भूकंप आएगा
तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है
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Sidhki❤
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