Hindi, asked by diyabansal73, 1 year ago

poem in hindi on balshram​

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Answered by user1234550976
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Answered by Prateekkushwaha
3

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वो कृष्णा,

थक जाता होगा सारा दिन…

सर पे बोझ उठता होगा, मेरा घर कब बन पायेगा?

ऐसा ख़्वाब सजाता होगा!

चन्दू,

चाय की दूकान से थक के घर जाता होगा

यकीनन खुद को सब से बड़ा पता होगा

जब दो जून की रोटी कमा के लाता होगा,

बेला,

का बचपन जल जाता होगा

जब कोई खिलौना छीन लिया जाता होगा…

बर्तन क्यों साफ़ नहीं है

कह के कोई मालिक जब चिल्लाता होगा…

रहीम,

फूल बेचता फिरता है

कभी पेन किताब दिखता है सड़कों पे,

यकीन उसका मन भी कुछ लिखने को

कर जाता होगा!

खेल का मैदान नहीं है!

भूखे जिस्म में जान नहीं है!

करवाते हो मजदूरी दिन भर…

ये बच्चा क्या इन्सान नहीं है?

मैं सोचती हूँ क्या इंसान? क्या भगवान?

कोई इसके लिए परेशान नहीं है?

कोई तो संभालो इसको…

मेरे देश की क्या ये पहचान नहीं है?

यूँ मत रोंदो बचपन इनका…

जीवन है जीवन… आसन नहीं है!

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