Poem in hindi on mobile
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सुबह ‘चार’ पर मुर्गे उठकर,
हर दिन बांग लगाते थे।
सोने वाले इंसानों को,
' उठो-उठो' चिल्लाते थे।
किंतु आजकल भोर हुए,
आवाज नहीं यह आती है।
लगता है कि अब मुर्गों की,
नींद नहीं खुल पाती है।
मुर्गों के घर चलकर उनको,
हम मोबाइल दे आएं।
और अलार्म है, कैसे भरना,
उनको समझाकर आएं।
चार बजे का लगा अलार्म,
मुर्गे जब उठ जाएंगे।
कुकड़ूं कूं की बांग लगेगी,
तो हम भी जग जाएंगे।
मुन्नूजी ने इसी बात पर,
पी.ए. को बुलवाया है।
दस हजार मोबाइल लेने,
का आर्डर करवाया है।
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