Poem in Hindi on shishtachar
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Hey...
पूर्वजो ने जो दी धरोहर
क्या हमने उसे संभाला हैं
या यू ही उसे ढोलक की मानिंद
पीट पीट कर फोड़ डाला हैं
मिले थे जो संस्कार हमे
अपने बाबा दादा से
उन्हे ही हमने रौंद दिया
अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए
इच्छा की हाला को पीकर
नित नित जीते जाते हैं
नही उतरता नशा अहंकार का
बस यू ही पीते जाते हैं
अंधी दौड़ का नशा जो उतरे
तो दिखाई संस्कार पड़े
ना हम बेकार की बातून मे
आपस मे यू लड़े मरे
शिष्टाचार की बाते हमको
एक कहानी लगती हैं
नानी ने जो थी सुनाई
ऐसी ये रवानी लगती हैं
एक बात तुम सुन लो प्यारे
शिष्टाचार ना आया हमको
तो कुछ भी ना आया हैं
कर लो चाहे जितनी उन्नति
फिर भी कुछ ना पाया हैं
शिस्ट हो आचार हमारा
ऐसा हम विचार करे
दे जाए दुनिया को कुछ ऐसा
की दुनिया हमको
युगो युगो तक याद करेl
Hope this would help you.
Mark it as brainliest if you like.
@ Saadya
पूर्वजो ने जो दी धरोहर
क्या हमने उसे संभाला हैं
या यू ही उसे ढोलक की मानिंद
पीट पीट कर फोड़ डाला हैं
मिले थे जो संस्कार हमे
अपने बाबा दादा से
उन्हे ही हमने रौंद दिया
अपनी स्वार्थ पूर्ति के लिए
इच्छा की हाला को पीकर
नित नित जीते जाते हैं
नही उतरता नशा अहंकार का
बस यू ही पीते जाते हैं
अंधी दौड़ का नशा जो उतरे
तो दिखाई संस्कार पड़े
ना हम बेकार की बातून मे
आपस मे यू लड़े मरे
शिष्टाचार की बाते हमको
एक कहानी लगती हैं
नानी ने जो थी सुनाई
ऐसी ये रवानी लगती हैं
एक बात तुम सुन लो प्यारे
शिष्टाचार ना आया हमको
तो कुछ भी ना आया हैं
कर लो चाहे जितनी उन्नति
फिर भी कुछ ना पाया हैं
शिस्ट हो आचार हमारा
ऐसा हम विचार करे
दे जाए दुनिया को कुछ ऐसा
की दुनिया हमको
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