Poem in hindi write yh kadam ka per agar hota ymuna tire
Answers
Answered by
4
ये कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरेमैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरेले देती यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वालीकिसी तरह नीची हो जाती ये कदम्ब की डालीतुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके-चुपके आताउस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जातावहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाताअम्मा-अम्मा कह बंसी के स्वर में तुम्हें बुलातासुन मेरी बंसी को माँ तुम इतनी खुश हो जातीमुझे देखने काम छोड़ तुम बाहर तक आतीतुमको आता देख बांसुरी रख मैं चुप हो जातापत्तो में छिपकर धीरे से फिर बांसुरी बाजाताघुस्से होकर मुझे डाटती कहती नीचे आजापर जब मैं न उतरता हंसकर कहती मुन्ना राजानीचे उतरो मेरे भईया तुम्हे मिठाई दूँगीनए खिलोने माखन मिसरी दूध मलाई दूँगीमैं हंस कर सबसे ऊपर टहनी पर चढ़ जाताएक बार ‘माँ’ कह पत्तों मैं वहीँ कहीं छिप जाताबहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आतामाँ, तब माँ का हृदय तुम्हारा बहुत विकल हो जातातुम आँचल फैला कर अम्मा वहीं पेड़ के नीचेईश्वर से कुछ विनती करती बैठी आँखें मीचेतुम्हें ध्यान में लगी देख मैं धीरे-धीरे आताऔर तुम्हारे फैले आँचल के नीचे छिप जातातुम घबरा कर आँख खोलतीं, पर माँ खुश हो जातीजब अपने मुन्ना राजा को गोदी में ही पातींइसी तरह कुछ खेला करते हम-तुम धीरे-धीरेयह कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीर
Answered by
8
ये कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे
मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे
ले देती यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली
किसी तरह नीची हो जाती ये कदम्ब की डाली
तुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके-चुपके आता
उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाता
वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता
अम्मा-अम्मा कह बंसी के स्वर में तुम्हें बुलाता
सुन मेरी बंसी को माँ तुम इतनी खुश हो जाती
मुझे देखने काम छोड़ तुम बाहर तक आती
तुमको आता देख बांसुरी रख मैं चुप हो जाता
पत्तो में छिपकर धीरे से फिर बांसुरी बाजाता
घुस्से होकर मुझे डाटती कहती नीचे आजा
पर जब मैं न उतरता हंसकर कहती मुन्ना राजा
नीचे उतरो मेरे भईया तुम्हे मिठाई दूँगी
नए खिलोने माखन मिसरी दूध मलाई दूँगी
मैं हंस कर सबसे ऊपर टहनी पर चढ़ जाता
एक बार ‘माँ’ कह पत्तों मैं वहीँ कहीं छिप जाता
बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आता
माँ, तब माँ का हृदय तुम्हारा बहुत विकल हो जाता
तुम आँचल फैला कर अम्मा वहीं पेड़ के नीचे
ईश्वर से कुछ विनती करती बैठी आँखें मीचे
तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं धीरे-धीरे आता
और तुम्हारे फैले आँचल के नीचे छिप जाता
तुम घबरा कर आँख खोलतीं, पर माँ खुश हो जाती
जब अपने मुन्ना राजा को गोदी में ही पातीं
इसी तरह कुछ खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे
यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे
मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे
ले देती यदि मुझे बांसुरी तुम दो पैसे वाली
किसी तरह नीची हो जाती ये कदम्ब की डाली
तुम्हें नहीं कुछ कहता पर मैं चुपके-चुपके आता
उस नीची डाली से अम्मा ऊँचे पर चढ़ जाता
वहीं बैठ फिर बड़े मजे से मैं बांसुरी बजाता
अम्मा-अम्मा कह बंसी के स्वर में तुम्हें बुलाता
सुन मेरी बंसी को माँ तुम इतनी खुश हो जाती
मुझे देखने काम छोड़ तुम बाहर तक आती
तुमको आता देख बांसुरी रख मैं चुप हो जाता
पत्तो में छिपकर धीरे से फिर बांसुरी बाजाता
घुस्से होकर मुझे डाटती कहती नीचे आजा
पर जब मैं न उतरता हंसकर कहती मुन्ना राजा
नीचे उतरो मेरे भईया तुम्हे मिठाई दूँगी
नए खिलोने माखन मिसरी दूध मलाई दूँगी
मैं हंस कर सबसे ऊपर टहनी पर चढ़ जाता
एक बार ‘माँ’ कह पत्तों मैं वहीँ कहीं छिप जाता
बहुत बुलाने पर भी माँ जब नहीं उतर कर आता
माँ, तब माँ का हृदय तुम्हारा बहुत विकल हो जाता
तुम आँचल फैला कर अम्मा वहीं पेड़ के नीचे
ईश्वर से कुछ विनती करती बैठी आँखें मीचे
तुम्हें ध्यान में लगी देख मैं धीरे-धीरे आता
और तुम्हारे फैले आँचल के नीचे छिप जाता
तुम घबरा कर आँख खोलतीं, पर माँ खुश हो जाती
जब अपने मुन्ना राजा को गोदी में ही पातीं
इसी तरह कुछ खेला करते हम-तुम धीरे-धीरे
यह कदम्ब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे
Anonymous:
Wow NYC and...
Similar questions