poem on air pollution in hindi
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वायु प्रदूषण पर कविता। Poem On Air Pollution In Hindi
इतना प्रदूषण फैला है के
अब तो दम घुटता है,
नाक पर मास्क भी पहनो
तो आँख से घुसता है,
कान बंद भी कर लो तो
फिर सिर दुखता है,
सुविधा और प्रगति के नाम
पे हर कोई फैलाने में रत है,
रोकथाम की बात भी करे कोई
तो आजकल कौन सुनता है,
क्षमतानुसार ऐश ओ आराम के
नित नए विकल्प चुनता है,
इसके चलते जल,थल,नभ सब
खुद प्रदूषित कर के बैठा है,
और इसका इल्ज़ाम औरों पे
आयद करता रहता है,
फिर चाहे पब्लिक हो, निकाय
हों,राज्य हों,केंद्र सरकारें या
छोटे बड़े दुनिया भर के तमाम
मुमालिक,न वे इस समस्या और
इसके समाधान अथवा रोकथाम
के उपायों पर एकमत और न ही
कोई अपनी जिम्मेदारी समझता है,
अगर यही हाल कुछ वक्त और रहा
जो दिखता भी है तो न इस ग्रह पर
पेयजल बचेगा,न जीवनदायिनी
ऑक्सीजन, नतीज़तन न कोई जीवन
न ही वे आने वाली पीढ़ियाँ जिनके
लिए वर्तमान सर्वांगीण विकास,
विकास की रट लगाए रहता है
-श्रीचन्द्र
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