Hindi, asked by divyabarnwal45, 15 days ago

poem on atmanirbhar Bharat: a journey by the people of India in hindi​

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Answered by tanya6968
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जीवन की चपला वेला में, तू बन कर दिखा आत्मनिर्भर।
मद मस्त हाथियों का मेला, बुद्धि विवेक का प्रयोग कर।
समय, आश्चर्य परीक्षा ये; तत्पर सदा, आत्ममंथन कर।
विश्वास मेरा तेरे आगे, इस आलस्य का दमन कर।

प्रारंभ तेरा तेरे द्वारा; पूर्णता स्वयं तेरे पीछे।
आत्मनिर्भर है यदि तू, कठिनाई तेरी कांटे फीके।
तेरा भविष्य तेरे आगे, लिख उसे स्वयं की कलम से।
दूजो के जो हाथ पकड़े, हाथ उनके कबके छूटें।

आत्मनिर्भर तू रे बन तो, देश तेरा आत्मनिर्भर।
आत्मनिर्भर यदि देश तेरा, तो भविष्य क्या रे सुंदर।
विश्वगुरु ये फिर बनेगा, बस तू बन कुछ आत्मनिर्भर।
वाणी यही अंतिम हो मेरी, ये देश मेरा, सत्य, आत्मनिर्भर।


- हमें विश्वास है कि हमारे पाठक स्वरचित रचनाएं ही इस कॉलम के तहत प्रकाशित होने के लिए भेजते हैं। हमारे इस सम्मानित पाठक का भी दावा है कि यह रचना स्वरचित है।
Answered by nityapg07
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Answer:

जीवन की चपला वेला में, तू बन कर दिखा आत्मनिर्भर।

मद मस्त हाथियों का मेला, बुद्धि विवेक का प्रयोग कर।

समय, आश्चर्य परीक्षा ये; तत्पर सदा, आत्ममंथन कर।

विश्वास मेरा तेरे आगे, इस आलस्य का दमन कर।

प्रारंभ तेरा तेरे द्वारा; पूर्णता स्वयं तेरे पीछे।

आत्मनिर्भर है यदि तू, कठिनाई तेरी कांटे फीके।

तेरा भविष्य तेरे आगे, लिख उसे स्वयं की कलम से।

दूजो के जो हाथ पकड़े, हाथ उनके कबके छूटें।

आत्मनिर्भर तू रे बन तो, देश तेरा आत्मनिर्भर।

आत्मनिर्भर यदि देश तेरा, तो भविष्य क्या रे सुंदर।

विश्वगुरु ये फिर बनेगा, बस तू बन कुछ आत्मनिर्भर।

वाणी यही अंतिम हो मेरी, ये देश मेरा, सत्य, आत्मनिर्भर।

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