Poem on baisaki in hindi
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Kavita Baisakhi Par – बैसाखी की कविता
जब बजे ढोल, नाचे कृषक
झूमी फसलें, उर में पुलक !
‘नब बर्ष’ हुआ बंगाल में जब
‘पुत्तांडु’ तमिल मनायें सब
केरल में है ‘पूरम विशु’
आसाम में ‘रंगाली बीहू’ !
गुरूद्वारों में रौनक छायी
तब प्यारी बैसाखी आयी !
धूम मचाती भाती हर मन
जन्म खालसा हुआ इसी दिन
अमृत छका पंच प्यारों ने
गुरुसाहब की याद दिलाने
भंगड़ा गिद्दा होड़ लगाते
घर बाहर रोशन हो जाते !
सब के मन पर मस्ती छायी
तब प्यारी बैसाखी आयी
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