Poem on balganagadar tilak
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पराधीनता के बंधन में,
बंदी थी जब भारतमाता।
तुमने तन-मन-धन अर्पित कर,
देश-प्रेम से जोड़ा नाता।।
स्वतंत्रता अधिकार जन्म से,
दिया यही जन-जन को नारा।
तिलक बाल गंगाधर! तुमको,
शत-शत बार प्रणाम हमारा।।
आजादी के घोर युद्ध में,
बने एक अविचल सेनानी।
लड़े अनय अत्याचारों से,
हार नहीं जीवन में मानी।।
सुन सन्देश क्रांति का तुमसे,
जाग उठा था भारत सारा।
तिलक बाल गंगाधर! तुमको,
शत-शत बार प्रणाम हमारा।।
तुमने गीता का रहस्य भी,
बड़ी सरलता से समझाया।
मिटा अविद्या-अंधकार को,
नवल ज्ञान का दीप जलाया।।
युग-युग तक सारी दुनिया में,
अमर रहेगा नाम तुम्हारा।
तिलक बाल गंगाधर! तुमको,
शत-शत बार प्रणाम हमारा।।
साभार- देवपुत्र
बंदी थी जब भारतमाता।
तुमने तन-मन-धन अर्पित कर,
देश-प्रेम से जोड़ा नाता।।
स्वतंत्रता अधिकार जन्म से,
दिया यही जन-जन को नारा।
तिलक बाल गंगाधर! तुमको,
शत-शत बार प्रणाम हमारा।।
आजादी के घोर युद्ध में,
बने एक अविचल सेनानी।
लड़े अनय अत्याचारों से,
हार नहीं जीवन में मानी।।
सुन सन्देश क्रांति का तुमसे,
जाग उठा था भारत सारा।
तिलक बाल गंगाधर! तुमको,
शत-शत बार प्रणाम हमारा।।
तुमने गीता का रहस्य भी,
बड़ी सरलता से समझाया।
मिटा अविद्या-अंधकार को,
नवल ज्ञान का दीप जलाया।।
युग-युग तक सारी दुनिया में,
अमर रहेगा नाम तुम्हारा।
तिलक बाल गंगाधर! तुमको,
शत-शत बार प्रणाम हमारा।।
साभार- देवपुत्र
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Tilak Bal Gangadhar Tum K
satya satya bar parnam hamara
paradinTa ke bandhan Mein
Bandi Thi jab Bharat Mata
Tumne Tan Man Dhan arpit kar
deshprem Se Juda NaTu
sanwanter Adhikar Janam se
Diya Yahi jan jan ko Nara
Tilak Bal Gangadhar
Tumko sat sat Pranam Hamara
satya satya bar parnam hamara
paradinTa ke bandhan Mein
Bandi Thi jab Bharat Mata
Tumne Tan Man Dhan arpit kar
deshprem Se Juda NaTu
sanwanter Adhikar Janam se
Diya Yahi jan jan ko Nara
Tilak Bal Gangadhar
Tumko sat sat Pranam Hamara
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