Poem on Bhag Daud Bhari Zindagi(In hindi)
Answers
जीवन की भाग दौड़
दो पल को थम जाये अगर ये भागम- भाग,
दो पल को लम्बी साँस लेना चाहता हूँ!
पीपल की छांव तले दो पल,
आंखें मूँद, ये महसूस करना चाहता हूँ!
क्या ये वही रास्ता है ज़िन्दगी का,
जिस पे बरसों से चलना चाहता था!
गर ये रास्ता नहीं मेरी मजिल का,
फिर ये दोष किसपे थोपना चाहता हूँ?
जोरदार रेलम रेला, ठेला ठेली है,
भावनाओं में क्यों बहता जा रहा हूँ!
कभी फैशन, कभी रुतबा,
कभी पैसा, कभी वजूद,
मैं- मैं की झंझट में कहाँ फंसता जा रहा हूँ?
दिल में ज़ख्म हो भले ही तमाम,
कभी मज़ाक करके, कभी बनके, हँसता जा रहा हूँ!
जो सुलझाने चला उलझन तुम्हारी,
तुम्हारी जुल्फों की लटों में उलझता जा रहा हूँ!
वक़्त का कैसिनो चलता जा रहा है,
और मैं जुवारी, वक़्त खोता जा रहा हूँ
पर मंजिल है शायद कहीं पर मेरी ,
मैं बादल हूँ, कहीं पे बरसने जा रहा हूँ!
hope it helps
Explanation:
एक राज की
बात बताता हूँ,
आप क्या लिखते हैं
इन बातों को भूल
जाएँ तो बेहतर,
अनुराग हो
या प्यार हो,
क्रोध हो या
पश्चाताप हो,
दुःख भरी दास्ताँ
का उद्गार हो,
हमें तो जांचना
परखना आता ही नहीं,
अच्छी प्रतिक्रियाएं
देनी मुझे आती ही नहीं।
इस भाग दौड़
भरी जिंदगी में
बस मैं 'लाइक' का
बटन दबाता हूँ !
इस तरह ही
अपने हुनर का
जादुई करिश्मा
लोगों को दिखाता हूँ