poem on democracy in hindi
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hindu desh ke niwasi poem
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घास के बिछौने पर लेटे-लेटे
हम अपनी प्रियसी से पूछ बैठे-
क्यों डियर!
डेमोक्रेसी क्या होती है ?
वे बोलीं-
तुम्हारे वादों जैसी होती है!
इंतजार में
बहुत तड़पाती है,
झूठ बोलती है,
सताती है,
तुम तो आ भी जाते हो,
ये कभी नहीं आती है!
एक विद्वान से पूछा
वे बोले-
हमने राजनीति शास्त्र
सारा पढ़ मारा,
डेमोक्रेसी का मतलब है
आजादी, समानता और भाईचारा
आजादी का मतलब
रामनाम की लूट है,
इसमें गधे और घास
दोनों को बराबर छूट है
घास आजाद है कि
चाहे जितनी बढ़े
और गधे स्वतंत्र हैं कि
लेटे-लेटे या खड़े-खड़े
कुछ भी करें
जितना चाहें इस घास को चरें।
और समानता
कौन है जो इसे नहीं मानता ?
हमारे यहां
गरीबों और गरीबों में समानता है,
अमीरों और अमीरों में समानता है
मंत्रियों और मंत्रियों में समानता है
संत्रियों और संत्रियों में समानता है
चोरी, डकैती, सेंधमारी, बटमारी
राहजनी, आगजनी, घूसखोरी, जेबकतरी
इन सबमें समानता है
बताइए, कहां असमानता है?
और भाईचारा!
तो सुनो भाई
यहां हर कोई
एक-दूसरे के आगे
चारा डालकर
भाईचारा बढ़ा रहा है
जिसके पास
डालने को चारा नहीं है
उसका किसी से
भाईचारा नहीं है
और अगर वो बेचारा है
तो इसका हमारे पास कोई चारा नहीं है
हमने अपने जेलर मित्र से पूछा-
आप ही बताइए मिस्टर नेगी ?
डेमोक्रेसी?
आजकल जमानत पर रिहा है
कल सींखचों के अंदर दिखाई देगी
अंत में मिले हमारे मुसद्दीलाल
उनसे भी कर डाला यही सवाल
बोले-
डेमोक्रेसी?
दफ्तर के अफसर से लेकर
घर की अफसरा तक
पड़ती हुई फटकार है!
जुबान के कोड़ों की मार है
चीत्कार है, हाहाकार है
इसमें लात की मार से कहीं तगड़ी
हालात की मार है
अब मैं किसी से
ये नहीं कहता,
कि मेरी ऐसी-तैसी हो गई है,
कहता हूं
मेरी डेमोक्रेसी हो गई है!