India Languages, asked by kavya225, 5 months ago

poem on Guru Nanak Dev Ji in Punjabi​

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Answered by evievil
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Answered by ItsBlueberry
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Explanation:

1. चशमां-मटन साहिबबिसमिल मारतंड दे कंढे

नाद वजांदा आया,

छुह कदमां दी जिन्द पावणी

डुल्हदी नाल ल्याया,

जाग पए पत्थर ओ मोए

रुल गए पानी जीवे,

नवां जनम दे 'मटन साहब' कर

उज्जल थेह वसायआ,-

सुहण्यां दे सुलतान गुरू

जिन नानक नाम सदायआ,

'ब्रहम दास' पंडत नूं एथे

अरशी नूर दिखया,

चशम 'कमाले' दी चा खुहली

कुदरत-वस्स्या दस्स्या,

ताल विचाले थड़ा बणया

गुर बैठ सन्देस सुणायआ ।

इउं कशमीर जिवाके सुहणा

जा कैलाश नूं चड़्हआ,

पर कशमीर आप ही मुड़के

विच्च तबाही वड़्या ।

सिंघ रणजीत मरद दा चेला

देखो बुक्कदा आया,

मुड़ कशमीर जिवाई बिसमिल

मटन साहब रंग खिड़्या,

धरमसाल-छे बारांदरियां

थड़ा विचाल फबायआ,

जिस ते बैठ 'ब्रहम' दा मूधा

सतिगुर कौल खिड़ायआ ।

'नानक-छुह' दा संग अजे तक

बग़दाद सांभके रख्या,

'नानक-छुह' दा थड़ा बंगला

कशमीर ने भन्न गवायआ ।

2. श्री गुरू नानक देव जी तों

कलियां दी सुगंधि सदक्कड़े !अज्ज नसीम जदों कलियां नूं आ के गल्ल सुणाई:-

'गुर नानक प्रीतम कल आसन, पक्की इह अवाई' ।

सुन कलियां भर चाउ आख्या:-'सहीयो अज्ज न खिड़ना,

कल प्रीतम दे आयां कट्ठी देईए मुशक लुटाई' ।

3. श्री गुरू नानक देव जी तों

नुछावर त्रेल'पौन लुके पाणी' ने सहीयो ! जां इह गल्ल सुन पाई:

'गुर नानक प्रीतम कल आसन, पयार छहबरां लाई' ।

पौन कुच्छड़ों तिलक रात नूं, शबनम रूप बणाके

विछ गया सारा धरती उत्ते:-'चरन धूड़ मुख लाई' ।

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