POEM ON Guru Teg Bahadur : An Inspiration for Modern India
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Explanation:
तिलक जंञू राखा प्रभ ता का ॥
कीनो बडो कलू मह साका ॥
साधन हेति इती जिनि करी ॥
सीसु दिया पर सी न उचरी ॥१३॥
धरम हेति साका जिनि किया ॥
सीसु दिया पर सिररु न दिया ॥
नाटक चेटक कीए कुकाजा ॥
प्रभ लोगन कह आवत लाजा ॥१४॥
दोहरा
ठीकरि फोरि दिलीसि सिरि प्रभ पुरि कीया पयान ॥
तेग बहादर सी क्र्या करी न किनहूं आन ॥१५॥
तेग बहादर के चलत भयो जगत को सोक ॥
है है है सभ जग भयो जै जै जै सुर लोकि ॥१६॥
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