poem on guru teg bahadur in hindi
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रह न जाए रक्त की बेला
जरा-सी अमृत उठा लेना।
आजादी अब परवान चढ़ेगी
भाग्य से आंख मिला लेना।
विकट संकट राह में कंटक
तपिश से जूझना सीख जाना।
देश का हाथ थाम कर तुम अब
मां भारती का शीश गगन लहरा जाना।
दूर ना होना, अधीर ना होना।
डरना न अत्याचार से।
आओ मिलकर करते हैं हम-सब।
"देश-मंथन" एक नई शुरुआत से।
बलिदान हुए इस देश के नायक।
आओ मिलकर करें प्रणाम हम।
उनके दिखाएं राह पर चलकर;
करें ज्योतिपुंज का निर्माण हम।।
कर्तव्यबोध की ज्वाला में;
स्वच्छ धरा, सुंदर आवरण को साकार अब कर देना।
जीव-मात्र पर करुणा-भाव जगाकर;
उनका अस्तित्व बचा लेना।
न्याय, समता, स्वतंत्रता पर…
आओ मिलकर एक नव-पैगाम दे।
नव-भारत के नव-निर्माण को
"आत्मनिर्भर भारत" का सपना साकार करें।
आजादी के इस अमृत महोत्सव पर..
आओ मिलकर करे हमसब संकल्प अब।
नव-भारत के निर्माण को करना होगा "देश-मंथन"
अमृत को खोज कर करना होगा आविष्कार अब।
रह जाए रक्त की बेला;
जरा-सी अमृत उठा लेना…
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answer of that first question
I can't able to answer on that question
that's why I answered here