Hindi, asked by Ishu1111, 1 year ago

poem on happiness in Hindi

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Answered by MINIPALLAVI
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एक रोज़ कहूँगी कि मैं अपना अक्स जानती हूँ
हाँ मैं भी अपनी हर खुशी को पहचानती हूँ

एक पंछी सी आसमान में उड़ सकूँ
पंख फैला मदहोश चलती पवन से मिल सकूँ
एक छोटा सा मेरा भी घोसला हो
ओर मैं अपने सारे सपने हक़ीकत में बुन सकूँ
उस रोज़ कहूँगी मैं अपना अक्स जानती हूँ
हाँ मैं भी अपनी हर खुशी को पहचानती हूँ

एक नन्ही चींटी सी कोशिश लगातार कर सकूँ
होके संगठित मैं जीवन में संघर्ष कर सकूँ
मंज़िल कितनी भी भव्य क्यूँ न दिखे
उसे पाने हेतु सदैव अग्रसर रहूँ
उस रोज़ कहूँगी मैं अपना अक्स जानती हूँ
हाँ मैं भी अपनी हर खुशी को पहचानती हूँ

एक नदी सी मनमस्त अल्हड़ मैं बह सकूँ
अपना रास्ता अपनी इच्छा से चुन सकूँ
रास्ते में पर्वत मिले या मिले मैदान
अंत में अपने सागर से मिल उसमें घुल सकूँ
उस रोज़ कहूँगी मैं अपना अक्स जानती हूँ
हाँ मैं भी अपनी हर खुशी को पहचानती हूँ

एक संपूर्ण मनुष्य सा व्यक्तित्व पा सकूँ
हर मुश्किल घड़ी में अपनों का साथ निभा सकूँ
क्रोध कितना भी हावी हो जाए निर्मल मन पर
अपनी ज़ुबान पर हर घड़ी काबू मैं पा सकूँ
उस रोज़ कहूँगी मैं अपना अक्स जानती हूँ
हाँ मैं भी अपनी हर खुशी को पहचानती हूँ


Ishani11: This will absolutely help me in my project. .Thnk u soo much and soo nice poem
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