Poem on happiness in hindi
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थिरक उठा है मन का मोरसतरंगी डोर
सुरभित कानन ,चंचल समीर
उत्तुंग शिखर ,गंभीर धीर
हंसती प्रकृति नयनाभिराम
खग वृन्द सुनाते मधुर गान
नभ पर पसरी है धवल भोर
थिरक उठा है मन का मोर
नरम धूप है खिली खिली
अलसाई क्यारी में तितली
आवारा सी है रही घूम
फूलों का मुख है रही चूम
हर्षित पुलकित है पोर पोर
थिरक उठा है मन का मोर
बादल भी चलने लगे दांव
कहीं धूप है कहीं छाँव
झीनी झीनी बरसे फुहार
हैं रहे झूम ये देवदार
सतरंगी सी खिंच गयी डोर
थिरक उठा है मन का मोर …….
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