poem on ishwar in hindi
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hey dear ☺☺❤
Ur answer is here....
ईश्वर बंट गया है आज
यह अल्लाह की इबादत या राम की आराधना की वजह से नहीं बंटा
ईश्वर बंट गया है आज
यह अल्लाह की इबादत या राम की आराधना की वजह से नहीं बंटा
यह तो बंटा है लोगों की ख्वाहिशों के नाम पर
मैंने देखा था उसे कल सड़क पर नुमाइश कर रहा था
लोगों के भरोसे को मूरत में पिरोए और खरीदारों की भीड़
इस तरह लगी थी जैसे गुड़ पाने की आस में लगती है चींटियों की
या फिर किसी दुकान पर लगे हुए सेल में आते हैं ग्राहक
मुरादों के नाम पर चढ़ाई जा रही थी श्रद्धा की बलि
बहाए जा रहे थे दूध मंशा पूरी होने के लालच में
तभी दौड़कर आए हड्डियों में भूख की खाल सजाए बच्चे
जैसे झुंड में आती है कुत्तों की फौज किसी ने फेंका प्रसाद का टुकड़ा
वे इस तरह जश्न मनाने लगे
जैसे मिल गए हों उन्हें ईश्वर
hope it's help uuu
Ur answer is here....
ईश्वर बंट गया है आज
यह अल्लाह की इबादत या राम की आराधना की वजह से नहीं बंटा
ईश्वर बंट गया है आज
यह अल्लाह की इबादत या राम की आराधना की वजह से नहीं बंटा
यह तो बंटा है लोगों की ख्वाहिशों के नाम पर
मैंने देखा था उसे कल सड़क पर नुमाइश कर रहा था
लोगों के भरोसे को मूरत में पिरोए और खरीदारों की भीड़
इस तरह लगी थी जैसे गुड़ पाने की आस में लगती है चींटियों की
या फिर किसी दुकान पर लगे हुए सेल में आते हैं ग्राहक
मुरादों के नाम पर चढ़ाई जा रही थी श्रद्धा की बलि
बहाए जा रहे थे दूध मंशा पूरी होने के लालच में
तभी दौड़कर आए हड्डियों में भूख की खाल सजाए बच्चे
जैसे झुंड में आती है कुत्तों की फौज किसी ने फेंका प्रसाद का टुकड़ा
वे इस तरह जश्न मनाने लगे
जैसे मिल गए हों उन्हें ईश्वर
hope it's help uuu
Anonymous:
thanks
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☺✌☺✌☺✌☺
हे ईश्वर, हम सब तेरे ही रूप,
इस जग में कहीं छाँव है, कहीं धूप,
हमारा भी थोडा, उद्धार कर दो,
नैयाँ हमारी, उस पार कर दो |
हे ईश्वर …….. रूप |
बैठें हैं हम, एक आस लेकर,
तू देगा दर्शन, हमें पास आकर,
गरीबों की विनती , कभी सुन तो लेना,
तेरे दार तक न, हो जिनका पहुंचना |
हे ईश्वर …….. रूप |
पत्थर की मूरत बन, मंदिरों में बंद है ,
अमीरों की सूरत , देखने को रजामंद है,
मंदिरों से निकलकर, खुली हवा में जो आओगे,
दुःख- दर्द दीन दुखियों के, तब जान पाओगे,
हे ईश्वर …….. रूप |
Hope it's helpful ✌✌☺☺
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