Hindi, asked by tejaswi13, 1 year ago

poem on labours day in hindi

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Answered by rishika181
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मैं एक मजदूर हूँभगवान की आंखों से मैं दूर हूँछत खुला आकाश हैहो रहा वज्रपात हैफिर भी नित दिन मैंगाता राम धुन हूंगुरु हथौड़ा हाथ मेंकर रहा प्रहार हैसामने पड़ा हुआबच्चा कराह रहा हैफिर भी अपने में मगनकर्म में तल्लीन हूँमैं एक मजदूर हूँभगवान की आंखों से मैं दूर हूँ ।आत्मसंतोष को मैंनेजीवन का लक्ष्य बनायाचिथड़े-फटे कपड़ों मेंसूट पहनने का सुख पायामानवता जीवन कोसुख-दुख का संगीत हैमैं एक मजदूर हूँभगवान की आंखों से मैं दूर हूँ ।

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