poem on lockdown in hindi
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◦•●◉✿αηsωεя✿◉●•◦
संभाल कर रखिए जनाब ये फ़ुरसत के लम्हें
बड़ी क़ीमत अदा कर ये दौर ए सुकूं पाया है
अपने हाथों से दे रहे थे ज़ख्म बेहिसाब
कुदरत ने तो बस आज आईना दिखाया है
सिमट आए है रिश्ते चार दिवारी में
खौफ ने ही सही, मकान को घर तो बनाया है
मुद्दतों बाद खुश है आज बूढ़ा दरख़्त
शाख से टूटे पत्तों को कोई रौंदने नहीं आया है
थम गया है शोर ए रफ़्तार जमाने का
ये कौन सा पंछी मेरे आंगन में चहचहाया है
आ भुला दे खुद को इन खामोश फिज़ाओं में
खुद को खोया जिसने उसी ने खुद को पाया है...
Answer: its not mine but excellent
Explanation:
ना तुम देर से घर आना,
घर से ही काम कर काम चलाना !
सुबह मैं देर तक सोती रहूं,
चाय बना तुम करना सूरज का स्वागत,
चिड़ियों को दाना डाल पानी रखना,
मुझे जगाने की प्यार से कोशिश करना !
घड़ी की सुइयां छेड़ेंगी हर सुबह,
लंबी रातों से उकता हर रोज़ सबेरे,
अलार्म बंद कर भूल जाना उठाना,
सपनों की बतिया दोपहरी में सुनाना !
पुरानी तस्वीरों का खोल पिटारा,
यादों में उलझ करेंगे हिसाब,
चलो गलतियों की मांगे माफ़ी,
आनेवाली यादें बनाएं खूबसूरत !