English, asked by kaarry, 1 year ago

poem on loknayak jayaprakash narayan

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Answered by poojan
1
Born on a victorious day (Vijay Dasami)
Made us to taste the victory
Break our handcops from whities
Sacrified his life to make us free.

Turned against the emergency
With the goal "protect others"
Stands as an example for a
Real epitome of a man

Responsible for political development
By a great stir J.P. Movement 
Made the Indira to frighten
and for the declaration of emergency

Joined the union of 5 oppositions
Gave birth to the "Janata Party"
made dedicated himself to society

The great telugu patriot ever
who changed the history of India
By taxing his life greatly
Became "Narayan" as "Nayak"
LOK NAYAK
Answered by Anonymous
0

" Poem on Jai Naryan Prakash in Hindi "

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सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है
दो राह,समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। 

जनता?हां,मिट्टी की अबोध मूरतें वही
जाडे-पाले की कसक सदा सहनेवाली
जब अंग-अंग में लगे सांप हो चुस रहे 
तब भी न कभी मुंह खोल दर्द कहनेवाली।
 
जनता? हां, लंबी - बड़ी जीभ की वही कसम
"जनता, सचमुच ही, बड़ी वेदना सहती है।" 
"सो ठीक, मगर, आखिर, इस पर जनमत क्या है?" 
है प्रश्न गूढ़ जनता इस पर क्या कहती है?"
 
मानो, जनता ही फूल जिसे अहसास नहीं, 
जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों में 
अथवा कोई दूधमुंही जिसे बहलाने के 
जन्तर-मन्तर सीमित हों चार खिलौनों में।

लेकिन होता भूडोल, बवंडर उठते हैं, 
जनता जब कोपाकुल हो भृकुटि चढ़ाती है 
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, 
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है।

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