poem on mothers earth in hindi which never listen to anyone
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हरे-भरे वृक्षों से सज्जित, मस्ती में लहराती धरती।। कल -कल नीर बहाती धरती, शीतल पवन चलाती धरती। कभी जो चढ़े शैल शिखर तो, कभी सिन्धु खा जाती धरती।। अच्छी -अच्छी फसलें देकर, मानव को हर्षाती धरती।
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