Poem on nature in Hindi 2 poems
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मिट्टी से जनमा हे फूल तू कहाँ जा रहा हैहे मित्र ,मै पृभु के चरणो मे सजने जा रहा हूँकभी मै किसी सुन्दरी के गजरे मे सजने जा रहा हूँतो कभी मै किसी नेता आ सत्कार करने जा रहा हूँतो कभी मृत्युशैया मे षृद़ान्जली बनने जा रहा हूँमेरा जीवन तो यही है मित्रमिट्टी से जनमा हूँ और मिट्टी मे ही मिलने जा रहाहूँ।
.पिंजरे की चिड़िया..पिंजरे की चिड़िया थी सोने के पिंजरे मेंवन कि चिड़िया थी वन मेंएक दिन हुआ दोनों का सामनाक्या था विधाता के मन मेंवन की चिड़िया कहे सुन पिंजरे की चिड़िया रेवन में उड़ें दोनों मिलकरपिंजरे की चिड़िया कहे वन की चिड़िया रेपिंजरे में रहना बड़ा सुखकरवन की चिड़िया कहे ना…मैं पिंजरे में क़ैद रहूँ क्योंकरपिंजरे की चिड़िया कहे हायनिकलूँ मैं कैसे पिंजरा तोड़करवन की चिड़िया गाए पिंजरे के बाहर बैठेवन के मनोहर गीतपिंजरे की चिड़िया गाए रटाए हुए जितनेदोहा और कविता के रीतवन की चिड़िया कहे पिंजरे की चिड़िया सेगाओ तुम भी वनगीतपिंजरे की चिड़िया कहे सुन वन की चिड़िया रेकुछ दोहे तुम भी लो सीखवन की चिड़िया कहे ना ….तेरे सिखाए गीत मैं ना गाऊँपिंजरे की चिड़िया कहे हाय!मैं कैसे वनगीत गाऊँवन की चिड़िया कहे नभ का रंग है नीलाउड़ने में कहीं नहीं है बाधापिंजरे की चिड़िया कहे पिंजरा है सुरक्षितरहना है सुखकर ज़्यादावन की चिड़िया कहे अपने को खोल दोबादल के बीच, फिर देखोपिंजरे की चिड़िया कहे अपने को बाँधकरकोने में बैठो, फिर देखोवन की चिड़िया कहे ना…ऐसे मैं उड़ पाऊँ ना रेपिंजरे की चिड़िया कहे हायबैठूँ बादल में मैं कहाँ रेऐसे ही दोनों पाखी बातें करें रे मन कीपास फिर भी ना आ पाए रेपिंजरे के अन्दर से स्पर्श करे रे मुख सेनीरव आँखे सब कुछ कहें रेदोनों ही एक दूजे को समझ ना पाएँ रेना ख़ुद समझा पाएँ रेदोनों अकेले ही पंख फड़फड़ाएँकातर कहे पास आओ रेवन की चिड़िया कहे ना….पिंजरे का द्वार हो जाएगा रुद्धपिंजरे की चिड़िया कहे हायमुझमे शक्ति नही है उडूँ ख़ुद
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.पिंजरे की चिड़िया..पिंजरे की चिड़िया थी सोने के पिंजरे मेंवन कि चिड़िया थी वन मेंएक दिन हुआ दोनों का सामनाक्या था विधाता के मन मेंवन की चिड़िया कहे सुन पिंजरे की चिड़िया रेवन में उड़ें दोनों मिलकरपिंजरे की चिड़िया कहे वन की चिड़िया रेपिंजरे में रहना बड़ा सुखकरवन की चिड़िया कहे ना…मैं पिंजरे में क़ैद रहूँ क्योंकरपिंजरे की चिड़िया कहे हायनिकलूँ मैं कैसे पिंजरा तोड़करवन की चिड़िया गाए पिंजरे के बाहर बैठेवन के मनोहर गीतपिंजरे की चिड़िया गाए रटाए हुए जितनेदोहा और कविता के रीतवन की चिड़िया कहे पिंजरे की चिड़िया सेगाओ तुम भी वनगीतपिंजरे की चिड़िया कहे सुन वन की चिड़िया रेकुछ दोहे तुम भी लो सीखवन की चिड़िया कहे ना ….तेरे सिखाए गीत मैं ना गाऊँपिंजरे की चिड़िया कहे हाय!मैं कैसे वनगीत गाऊँवन की चिड़िया कहे नभ का रंग है नीलाउड़ने में कहीं नहीं है बाधापिंजरे की चिड़िया कहे पिंजरा है सुरक्षितरहना है सुखकर ज़्यादावन की चिड़िया कहे अपने को खोल दोबादल के बीच, फिर देखोपिंजरे की चिड़िया कहे अपने को बाँधकरकोने में बैठो, फिर देखोवन की चिड़िया कहे ना…ऐसे मैं उड़ पाऊँ ना रेपिंजरे की चिड़िया कहे हायबैठूँ बादल में मैं कहाँ रेऐसे ही दोनों पाखी बातें करें रे मन कीपास फिर भी ना आ पाए रेपिंजरे के अन्दर से स्पर्श करे रे मुख सेनीरव आँखे सब कुछ कहें रेदोनों ही एक दूजे को समझ ना पाएँ रेना ख़ुद समझा पाएँ रेदोनों अकेले ही पंख फड़फड़ाएँकातर कहे पास आओ रेवन की चिड़िया कहे ना….पिंजरे का द्वार हो जाएगा रुद्धपिंजरे की चिड़िया कहे हायमुझमे शक्ति नही है उडूँ ख़ुद
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rishika181:
its my pleasure
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