poem on nature in Hindi
Answers
Answered by
3
pls mark me as brainliest
Attachments:
MahatmaGandhi11:
pls mark me as brainliest
Answered by
5
पेड़ो से पूछा मैंने यू ही एक रोज़
क्यों नहीं है तुम अंदर अब वो पहले जैसा जोश,
क्यों नहीं तुम्हारे नीचे बैठ कर
आती नहीं वो पहले जैसी बात,
जब शाम ढला करती थी
न जाने कब हो जाती थी रात,
क्यों नहीं कर पाता अब, मै फिर से तुमसे बात
मस्ती भी छूट गयी अब, जब होती है बरसात,
डर लगता है अब चढ़ते हुए ,कोई भी हो शाख
घबरा कर है दिल ये कहता कि हो जाऊंगा मैं राख,
अगर बनना ही था तुम्हे,ऐसा निर्दय कठोर
तो अब चले जाओ तुम इस धरती को छोड़,
तुमसे भी है परेशान यहाँ पर, सारे इंसान
रहने कि जगह है कम, और तुम बन रहे हो भगवान्,
सुनकर मेरी व्यथा को,पेड़ थोडा मुस्कुराया
फिर प्यार से उसने हंसकर हवा का एक झोंका मुझपर लहराया,
बोला मेरे कान में धीमे से सुनो मेरे बदलने का राज़
जिसको सुनकर हंसेगा सारा, निर्दय मानव समाज,
जोश मेरा वो पहले जैसा खोया यंही है देखो
काले धुएँ से प्रदूषण के बिखरे रंग अनेको,
मै क्या करता धीरे-धीरे हो गयी कच्ची मेरी शाख
नाम का पेड़ रह गया बनकर अब ,रखता हूँ संग्रहालय में सजने कि एक आस….
क्यों नहीं है तुम अंदर अब वो पहले जैसा जोश,
क्यों नहीं तुम्हारे नीचे बैठ कर
आती नहीं वो पहले जैसी बात,
जब शाम ढला करती थी
न जाने कब हो जाती थी रात,
क्यों नहीं कर पाता अब, मै फिर से तुमसे बात
मस्ती भी छूट गयी अब, जब होती है बरसात,
डर लगता है अब चढ़ते हुए ,कोई भी हो शाख
घबरा कर है दिल ये कहता कि हो जाऊंगा मैं राख,
अगर बनना ही था तुम्हे,ऐसा निर्दय कठोर
तो अब चले जाओ तुम इस धरती को छोड़,
तुमसे भी है परेशान यहाँ पर, सारे इंसान
रहने कि जगह है कम, और तुम बन रहे हो भगवान्,
सुनकर मेरी व्यथा को,पेड़ थोडा मुस्कुराया
फिर प्यार से उसने हंसकर हवा का एक झोंका मुझपर लहराया,
बोला मेरे कान में धीमे से सुनो मेरे बदलने का राज़
जिसको सुनकर हंसेगा सारा, निर्दय मानव समाज,
जोश मेरा वो पहले जैसा खोया यंही है देखो
काले धुएँ से प्रदूषण के बिखरे रंग अनेको,
मै क्या करता धीरे-धीरे हो गयी कच्ची मेरी शाख
नाम का पेड़ रह गया बनकर अब ,रखता हूँ संग्रहालय में सजने कि एक आस….
Similar questions
Geography,
7 months ago
Social Sciences,
7 months ago
Hindi,
7 months ago
Social Sciences,
1 year ago
Math,
1 year ago
Geography,
1 year ago
Math,
1 year ago