poem on paropkar in hindi
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नदीप्रारंभ करती है अपनी जीवन यात्रा |दोनों ओर,जीने की आशा ,औरपरोपकार का उद्देश्यरुपीतटों को साथ लेकर |अनवरत चलती रहती है,वगैर किसी स्वार्थ के ,सभी की प्यास बुझाते हुए |बाधाएं आती है ,रास्ता रोकने के लिए ,परन्तुअसफल रहेकिये गए सभी प्रयासउनके ,और नदी पाती है आशातीत सफलता |
सभी रुकावटों को तोड़करएकाकी वगैर किसी सहायता के औरजब अंत आया तोइसी आशा से कीशायद कम कर सके खारापन ,सागर का ,अर्पण कर मीठा जल अपना ,खो देती है अस्तित्वविलीन होकरसागर की गहराइयों में |
यही तो है ,कहानीप्रत्येक महापुरुष कीउपकारस्व - का नहींपर का उपकारपरोपकार परोपकार परोपकार........
सभी रुकावटों को तोड़करएकाकी वगैर किसी सहायता के औरजब अंत आया तोइसी आशा से कीशायद कम कर सके खारापन ,सागर का ,अर्पण कर मीठा जल अपना ,खो देती है अस्तित्वविलीन होकरसागर की गहराइयों में |
यही तो है ,कहानीप्रत्येक महापुरुष कीउपकारस्व - का नहींपर का उपकारपरोपकार परोपकार परोपकार........
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