Poem on prayavaran in sanskrit
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वन में वृक्षों का वास रहने दे!
झील झरनों में साँस रहने दे!
वृक्ष होते हैं वस्त्र जंगल के
छीन मत ये लिबास रहने दे!
वृक्ष पर घोंसला है चिडि़या का
तोड़ मत ये निवास रहने दे!
पेड़-पौधे चिराग हैं वन के
वन में बाक़ी उजास रहने दे!
वन विलक्षण विधा है कुदरत की
इस अमानत को खास रहने दे!
झील झरनों में साँस रहने दे!
वृक्ष होते हैं वस्त्र जंगल के
छीन मत ये लिबास रहने दे!
वृक्ष पर घोंसला है चिडि़या का
तोड़ मत ये निवास रहने दे!
पेड़-पौधे चिराग हैं वन के
वन में बाक़ी उजास रहने दे!
वन विलक्षण विधा है कुदरत की
इस अमानत को खास रहने दे!
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