poem on rain in Hindi
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नानी आज मुझे बतलाना ।
कहां से आती वर्षा पानी ।।
सोच न पाओ समझ न पाओ ।
है वर्षा की यहां मनमानी ।।
ऊपर नीला आसमान है ।
सब है सूरज चांद सितारे ।।
पानी फिर यहां कहां से आया ।
समझ ना आई बात हमारे ।।
सूरज की किरणें धरती पर अपने संग गर्मी लाती ।
गर्मी जल को भाप बनाकर ।।
आसमान तक जा पहुंचाती ।
ऊपर आसमान में जाकर ।।
भाप से काले बादल बनते ।
उमड़-घुमड़ यह बादल ही ।।
खूब गरजते खूब बरसते ।
ऐसे ही पानी से बादल ।।
बादल से फिर बनता पानी ।
अब तो जान गई बिटिया तुम ।।
कहां से आती वर्षा पानी ।।
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