poem on rain in hindi..
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छम-छम बूँदे बरखा की
लेकर आई है संगीत नया
हरियाली और प्रेम का
बना हो जैसे गीत नया
आज धरणि के आँसू सावन
के मोती बन बहुरे
मनभावन-सा लगे हैं सावन
हर चितवन हो गई है पावन
बिजली की अलकों ने अंबर
के कंधों को घेरा
मेघों ने मानों झूमकर
मन बरबस यह पूछ उठा है
कौन, कहाँ पर मेरा
धरती की प्यास बुझाई है
भावों से भर आई
चपला के पावों की आहट
खेलकर खेतों में
फैलकर रेतों में
घन छाए, मन के मीत की बेला आई
बादल घिर आए, गीत की बेला आई
मतवाली बरखा आई है
संग अपने
मुख में विधि ने डाले
बादल घिर आए, गीत की बेला आई
बादल घिर आए, गीत की बेला आई
आज गगन की सूनी छाती
त्यौहारों की भी
खुशहाली वो लाई है
आज पवन ने पाई
डोल रहें हैं बोल न जिनके
आसमान पर छाए बादल
बारिश लेकर आए बादल
गड़-गड़, गड़-गड़ की धुन में
ढोल-नगाड़े बजाए बादल
बिजली चमके चम-चम, चम-चम
छम-छम नाच दिखाए बादल
चले हवाएँ सन-सन, सन-सन
मधुर गीत सुनाए बादल
बूँदें टपके टप-टप, टप-टप
झमाझम जल बरसाए बाद ल
झरने बोले कल-कल, कल-कल
इनमें बहते जाए बादल
चेहरे लगे हँसने-मुसकाने